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मन से मन तक

23 अप्रैल 2022

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कभी सज़ा कराती थी रातें मेरी बस्ती में | खुदा को रास न आई मेरी रातें |  खुदा ने उजाड़ दिया मेरी बस्ती को। अब नहीं सजती रातें मेरी बस्ती में |



मैं रुका हुआ रुक सी गई मंज़िल |अब कहा किसी की तलास मुझे |मैं खुद को तलास लू अब |यही तलास अब मंज़िल मेरी |




अब सिकवे सिकायत नहीं अपने आप से |.कर लू एक  मुलाकात सिर्फ अपने आप से |मेरी खामोसी की सिर्फ एक यही वजह रही | अब सिकायत नही आप से यही वजह रही | 
भारती

भारती

बहुत खूब 👌🏻👌🏻

24 अप्रैल 2022

Rahul Singh Parihar

Rahul Singh Parihar

24 अप्रैल 2022

Bahut bahut dhanyawad

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रचनाएँ
Rahul ki dayri
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Ek chhoti si galti se badi gltiyo ki suruwat

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