Monthly Periods Problems In Hindi- महिलाओं में पीरियड्स को लेकर अलग ही बातें होती हैं. 13 से 14 साल की उम्र से लेकर 50 से 55 साल की उम्र तक उन्हें हर महीने माहवारी या मासिक धर्म से गुजरना होता है. महीने में 3 से 5 दिन उनका इसी में निकल जाता है जब वे अपने इस नेचुरल चीज से परेशान रहती हैं. पीरियड्स के दौरान कोई भी महिला ऐसी नहीं है जो खुश या नॉर्मल रहती हो क्योंकि इसमें समस्या आती जरूर है जिसे कुछ सुझावों के साथ फेस करना चाहिए. मेेरे लिए लेख में period ruk jaye to kya kare इसके बारे में भी आपको बताने जा रही हूं
पीरियड्स से संबंधित समस्याएं - Periods Problem in Hindi
मासिक धर्म के दौरान बहुत सी परेशानियों का सामना एक महिला को करना होता है लेकिन अगर वो समझदारी के साथ काम लें तो ये इतना मुश्किल भी नहीं होता है. इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ महिलाएं टेबलेट का सहारा लेती हैं तो कुछ महिलाएं घरेलू उपाय करने लगती है. मगर आमतौर पर जो समस्याएं इन्हें फेस करनी होती है वो वो कुछ ऐसी हैं.
1. मासिक धर्म का चक्र 28 दिन का होता है और जो 18 से 35 दिनों तक चलता है लेकिन कभी-कभी पीरियड ज्यादा लेट आते हैं जिससे महिलाओं का पूरा ध्यान सिर्फ उसी पर रहता है.
2. अगर आपको हाल ही में पीरियड्स शुरु हुए हैं तो मासिक धर्म की देरी से आने के लिए घबराने की जरूरत नीं है. कुछ लड़कियों को शुरु मं अनियमित मासिक धर्म की समस्या हो जाती है जो आम होता है.
3. पीरियड्स देरी से आने की वजह मोटापे के कारण शरीर में हार्मोंस सही तरीके से काम नहीं करना होता है. इस समस्या की वजह से भी लोगों को परेशानी होती है.
4. अगर वजन सामान्य से कम होता है तो कुछ लड़कियों या महिलाओं का शरीर बहुत दुबला पतला हो जाता है जिससे शरीर में पर्याप्त मात्रा एसट्रोजन नहीं बन पाता और इस कारण माहवारी ठीक से नहीं होती है.
5. पीरियड्स की परेशानी का एक मुख्य कारण पालीसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम भी होती है जो एक डॉक्टरी समस्या है इसे किसी एक्सपर्ट्स से दिखाना चाहिए.
6. शरीर में होने वाले दर्द और रक्त बहाव के कारण महिलाओं का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और ऐसे में उनका मन किसी काम में नहीं लगता है.
7. पीरियड्स के 3 से 5 दिन महिलाओं का ध्यान हर जगह से हटकर सिर्फ उसी पर रहता है क्योंकि उन्हें बार-बार पैड या कपड़ा चेंज करने की भी टेंशन रहती है.
पीरियड्स के बोझ को ऐसे करें हल्का
जब लड़की 9 या 10 साल की होती है तभी मां को उन्हें इसके बारे में बता देना चाहिए जिससे वे कभी भी होने वाले पीरियड के लिए तैयार रहें. बच्ची के स्कूल बैग में पैड रख देना चाहिए और उसे इसकी पूरी जानकारी भी दे देनी चाहिए. इसके अलावा स्कूलों में इसे लेकर बहुत गहराई से सोचना चाहिए और स्कूल में भी पैड या पेनकिलर का इंतेजाम रखना चाहिए. इन तरीकों से भी आप कर सकती पीरियड्स की समस्याओं का समाधान.
साफ कपड़ा या पैड करें इस्तेमाल- सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि आप साफ कपड़े या पैड का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर बाजार से सेनेटरी पैड खरीद रहे हैं तो उसकी क्वालिटी का ध्यान जरूर रखें. घर के पुराने कपड़े का इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन कपड़ा अच्छे से धुला हुआ होना चाहिए.
दिन में 2 से 3 बार बदलें कपड़ा -कपड़े या पैड को दिन में कम से कम 3 बार बदलिए. पीरियड्स की शुरुआती दिनों में जब खून का बहाव ज्यादा होता है तो 4 से 6 बार पैड या कपड़ा बदलना जरूरी होता है. कई बार लड़कियां 12-12 घंटे रखे रहती हैं जिससे प्राइवेट पार्ट के अंदर और आसपास बैक्टीरिया पैदा होने का डर रहता है और बदबू भी आने लगती है.
डांस या एक्सरसाइज करने से बचें- पीरियड्स के शुरुआती 2 या 3 दिनों में तेज डांस या एक्सरसाइज करने से आपको खुद को बचाना चाहिए. अगर दर्द नहीं हो रहा हो तो नॉर्मल वॉक या छोटी-मोटी एक्टिविटीज कर सकती हैं जैसे गर्दन, कलाईयों, हाथों और पैरों का मूवमेंट करना एक्सरसाइज में सही रहता है. इस दौरान अनुलोम-विलोम भ्रामरी प्राणा और ध्यान करना अच्छा होता है.
सेक्स करने से बनाए दूरी- पीरियड्स के दौरान शरीर में थकान और दर्द पहले से ही रहता है और अगर ऐसे में आपने संबंध बना लिए तो ये दर्द और भी बढ़ सकता है. पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से इनफेक्शन का भी खतरा होता है जो दोनों पार्टनर्स को हो सकता है.पीरियड्स के आखिरी दिनों में संबंध बना सकते हैं लेकिन कॉन्डम का इस्तेमाल करना जरूरी होता है.
दर्द में ले सकती हैं पेनकिलर- शरीर में बहुत थकान और बुखार महसूस होने पर हर 6 घंटे पर पैरासिटमोल या क्रोसीन ले सकती हैं. अगर पेट के निचले भाग में बहुत ज्यादा दर्द है तो आप नोरिथिस्टेरॉन टैबलेट 5 mg या प्रिमोलुट एन टैबलेट जैसी दवाईयां ले सकती हैं.मगर कोशिश यही करिए कि दवा लेने की जरूरत आपको नहीं पड़े.