सुप्रीम कोर्ट का फैसला निर्भया केस में आ चुका है. चारों आरोपियों पर फांसी की सजा बरकरार रखी गई है.
16 दिसंबर 2012 की तारीख भारत के इतिहास में बोल्ड ब्लैक लेटर्स में दर्ज है. इस दिन एक मासूम के साथ 6 लोगों ने दरिंदगी की हद पार कर दी. गैंगरेप किया और चलती बस से सड़क पर फेंककर भाग गए. मरने के लिए छोड़ गए. साथ में लड़की का दोस्त भी था जिसे बुरी तरह पीटा गया था. 2 दिन बाद सारे मुजरिम पकड़ लिए गए. जिनमें से एक नाबालिग था. 29 दिसंबर को इलाज के दौरान वो लड़की और जीने की चाहत लिए दुनिया छोड़ गई. मीडिया और देश ने उसे नाम दिया निर्भया. और इस केस को निर्भया कांड के नाम से जाना गया. रह गए उसके मुजरिम राम सिंह, मुकेश, अक्षय, पवन, विनय और एक नाबालिग. राम सिंह खुद अपने गले में फंदा डाल चुका है.
इस केस में कब क्या हुआ, टाइमलाइन ये रही.
16 दिसंबर 2012: मुनीरका से द्वारका के रास्ते में निर्भया और उसके दोस्त ने बस पकड़ी. चलती बस में 6 लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया और वसंत विहार इलाके में फेंककर भाग गए.
17 दिसंबर 2012: चार मुजरिम, राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान कर ली गई.
18 दिसंबर 2012: ये चारों लोग पुलिस की गिरफ्त में आ गए. वो बस भी आरके पुरम सेक्टर 3 से बरामद कर ली गई. उस पर यादव लिखा हुआ था. सुबूत मिटाने के लिए बस को धोया जा चुका था.
21 दिसंबर 2012: पांचवा आरोपी आनंद विहार बस अड्डे से भागने की फिराक में था, पकड़ा गया.
22 दिसंबर 2012: छठा और आखिरी आरोपी अक्षय ठाकुर औरंगाबाद से अरेस्ट कर लिया गया.
26 दिसंबर 2012: सफदरजंग हॉस्पिटल में निर्भया की हालत नाजुक बनी हुई थी, वेंटिलेटर पर रखा गया था. इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया
29 दिसंबर 2012: निर्भया की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई.
3 जनवरी 2013: मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में डाला गया. पांच आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल कर दी गई.
28 फरवरी 2013: छठवां आरोपी जो नाबालिग था उसके खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में आरोप तय हो गया.
11 मार्च 2013: मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली. उसकी फैमिली और वकील ने इल्जाम लगाया कि उसका मर्डर हुआ है.
31 अगस्त 2013: नाबालिग़ मुजरिम पर आरोप सिद्ध हो गया.
10 सितंबर 2013: बाकी चारों आरोपी भी दोषी करार दिए गए.
13 सितंबर 2013: इस मामले की तेजी से सुनवाई के लिए जो अदालत तय की गई थी उसने चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई.
7 अक्टूबर 2013: चारों आरोपियों ने दिल्ली हाइकोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ अपील की.
13 मार्च 2014: दिल्ली हाइकोर्ट ने भी इनको झटका दिया. मौत की सज़ा बरक़रार रखी.
15 मार्च 2014: चारों सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे. वहां अपील की.
20 दिसंबर 2015: नाबालिग आरोपी तीन साल जेल की सजा काटकर जेल से बाहर आ गया. इसकी वजह से देश में खूब प्रदर्शन हुए और इसका बहुत विरोध हुआ.
27 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा यानी फांसी की सजा बरकरार रखी.
इस सबके साथ और भी बहुत कुछ इस केस के सहारे चलता रहा. जैसे 3 फरवरी 2013 को क्रिमिनल लॉ अम्नेडमेंट ऑर्डिनेंस आया. जिसके तहत आईपीसी की धारा 181 और 182 में बदलाव किए गए. जिसके तहत रेप से जुड़े नियमों को कड़ा किया गया. और रेप करने वाले को फांसी की सजा भी मिल सके, इसका प्रावधान किया गया. 22 दिसंबर 2015 में राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ. इस एक्ट में प्रावधान किया गया कि 16 साल या उससे अधिक उम्र के बालक को जघन्य अपराध करने पर एक वयस्क मानकर मुकदमा चलाया जाएगा. रेप, रेप के कारण हुई मृत्यु, गैंग रेप और एसिड-अटैक जैसे महिलाओं के साथ होने वाले अपराध जघन्य अपराध की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा वे सभी कानूनी अपराध जिनमें सात साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, जघन्य अपराध की श्रेणी में शामिल हैं. लेकिन ये निर्भया के साथ कितना बड़ा दुर्भाग्य था कि उसका मुजरिम इस कानून से सिर्फ 2 दिन पहले रिहा हो गया था.
साभार - thelallantop.com
http://www.thelallantop.com/news/nirbhaya-case-verdict-rapists-to-be-hanged/