आओ बैठे आज फिर साथ
ज़िंदगी की किताब के
कुछ पन्ने फिर पलटें
कुछ अफ़साने तुम कहो
कुछ क़िस्से हम सुनायें
कुछ लम्हे तुम जियो
कुछ पल हम दोहराएँ
कुछ भूली हुई यादें,
तुम ताज़ा करो
कुछ स्मृतियाँ हम संजोयें
कुछ क़समें तुम तोड़ो
कुछ वादों से हम मुकरें
कुछ दूरियाँ तुम मिटाओ
कुछ फ़ासले हम तय करें
कुछ नज़दीक तुम आओ
कुछ क़रीब हम आएँ
रह गयी थी जो अधूरी, वो दास्ताँ
कुछ पूरी तुम करो
कुछ मुकम्मल हम करें
आओ बैठ कर फिर साथ
कुछ ज़िंदगी तुम जियो, कुछ हम