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हाई डिमांड "बहू-बेटी जैसी"????

3 सितम्बर 2018

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आकांक्षा श्रीवास्तव। .....?????"बहू बेटी जैसी चाहिए???? क्या हुआ आप भी भौचक्के रह गए न ,भइया आजकल अलग अलग तरह कि डिमांड शुरू हो गयी है। यह सुनते मेरे मन मे भी लाखों प्रश्न उमड़ते बादलों की तरह गरजने लगे कि ये कैसी डिमांड??? बहू- बेटी जैसी.???आख़िर एक स्त्री पर इतना बड़ा प्रहार क्यों???? आख़िर एक बहू को ये बताना क्यों कि तुम बेटी जैसी नही???? भाई साहब आप अपनी सोच खुद ही क्यों नही बदल लेते, कि बहू भी बेटी जैसी ही दिखे! जब तक आप नही बदलेंगे न , तब तक बहू -बेटी जैसी बन ही नही सकती। वो कितना भी त्याग क्यों न कर ले आप उसे आख़िर में ये बता के रहेंगे कि "बहू हो बहू की तरह रहो" ज़्यादा हर बात पर अड़ने की जरूरत नही..! मैं ये इसीलिए कह रही क्योंकि मैंने इस तरह के लोगो को देखा है जो बहू को बेटी बनाने में जुटे जरूर रहते है ,लेकिन किसी न किसी दिन ये बता ही देते है कि तुम इस घर की बहू हो । अगर बहू ने भी बेटी बनकर रहना शुरू कर दिया न तो निश्चित आपका हाजमा उसी दिन से खराब होना शुरू हो जाएगा। हर छोटी सी छोटी बात भी आपको चुभने लगेगी। जैसे :- बहू किसी बात पर जिद्द करे तो ताने मार देना,बेटी जिद्द करे तो उसे पूरा कर देना। बहू कुछ पहने तो बुरा मान जाना, बेटी पहने तो तारीफ की लरी लगा देना। ऐसी ही न जाने कितनी बातें है जो जिसे आप ख़ुद वाकिफ़ है। लेकिन ये बात तो साफ है कि आपके इस डिमांड पर कोई बहू बेटी नही बन सकती,क्योंकि ये आपकी सोच है,न कि बहू की?? एक बहू को तो बख़ूबी पता होता है कि बेटी तो वो अपने आँगन की होती है ,जहाँ उसे उड़ने की पूरी आजादी होती है, उसके फरमाइश से लेकर उसके दुःख तकलीफों तक। लेकिन बहू उस घर की हो जाती है ,जहाँ दिनोरात एक कर के सबको खुश करने में ही वो लगी रहती है। सबके पसन्द न पसन्द को समझने , ओर दुसरो की खुशी में खुश रहने, में जुटी रहती है। बड़ी बात पता आपको एक बेटी बहू बनकर बेटी क्यों नही बनना चाहती, क्योंकि जो सुकून उसे अपने घर मे मिलता है वो ससुराल में नही। जो सुकून उसके माँ अपनी परवरिश ओर लाड़ प्यार देती है तो पिता की दुलारी भाई का बॉडीगार्ड बनना, बहन का नोकझोंक ओर प्यार दुलार वाला रिश्ता,बहुत कम लोगो को ही ससुराल में नसीब होता हैं। कि देवर आपको भाई जैसा लगे,ननद बहन जैसी,सास माँ जैसी ,ससुर पिता जैसे। मैं ये नही कहती कि ऐसे लोग नही लेकिन मैं ये जरूर कहूँगी कि 10%लोग ही है जो बहू को बेटी बना कर रखते हैं। आपने कभी ये डिमांड करते वक्त ये सोचा कि "जिस स्त्री का हम तोलमोल कर रहे ,बहू बेटी जैसी हो ये डिमांड रख रहे तो ये भी जरा सोच लिए होते की वो एक स्त्री है जिसके ऊपर आप इतना बड़ा प्रहार कर दिए। उसके अस्तित्व पर वार करने से पहले ,यदि आप ही एक बहू को बहू का दर्जा दे देते तो उस दिन इन सवालों के प्रहार मायने नही रखेंगे। जिस दिन आप ये सोच लेंगे की वो भी किसी घर को छोड़ आपकी क्यारी में लगने आई है ,जब आप ही उसे उसका उचित स्थान नही देंगे तो कैसे एक बहू - बेटी जैसी खिलेंगी ज़रा आप ही बताइए??

आकांक्षा श्रीवास्तव की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत अच्छा लेख है |

4 सितम्बर 2018

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चचाजान

1 सितम्बर 2018
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बहुत दिनों से हजारों बातों को दबाएं बैठा हुआ हूं,ये जो क्या...डिजीटल चिट्ठी चली है न अपने तो समझ से ऊपर है। चचा जान अच्छा हुआ आज आप हो नही..,नही तो देश की वास्तविकता से जूझ रही धरती माँ को तड़पते ही देखते। इस न जाने डिजीटल दुनिया में क्या है कि लोग अपनी वास्तविकता ओर पहचान से शर्म खाते हैं। चचा जान

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चरखा चलाती माँ

2 सितम्बर 2018
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आकांक्षा श्रीवास्तव। धागा बुनाती माँ...,बुनाती है सपनो की केसरी , समझ न पाओ मैं किसको बताऊ मैं"...बन्द कोठरी से अचानक सिसकने की दबी मध्म आवाज बाहर आने लगती हैं। कुछ छण बाद एक बार फिर मध्म आवाज बुदबुदाते हुए निकलती है..,"बेटो को देती है महल अटरिया ,बेटी को देती परदेश र

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चरखा चलाती माँ

2 सितम्बर 2018
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एक विवाह ऐसा भी

2 सितम्बर 2018
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शादी ....शादी वो है जिसे लोग एक खुशी के लड्डू से जोड़ रखे है। इतना ही नही यहाँ तक यह भी कहा जाता है जो खाए वो भी ,जो न खाए वो भी पछताए। आज मेरी कहानी शादी के ऊपर ही आधारित है एक ऐसा विवाह जहाँ खुशियों की लरी लगी हुई थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ उस शादी में आप यह लेख पूर

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3 सितम्बर 2018
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आकांक्षा श्रीवास्तव। .....?????"बहू बेटी जैसी चाहिए???? क्या हुआ आप भी भौचक्के रह गए न ,भइया आजकल अलग अलग तरह कि डिमांड शुरू हो गयी है। यह सुनते मेरे मन मे भी लाखों प्रश्न उमड़ते बादलों की तरह गरजने लगे कि ये कैसी डिमांड??? बहू- बेटी जैसी.???आख़िर एक स्त्री पर इतना बड़ा प्रहार क्यों???? आख़िर एक बहू को

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कन्हैया के जन्मदिन पर हम विराजे है काशी के गोकुल धाम

3 सितम्बर 2018
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https://akankshasrivastava33273411.wordpress.com/ नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की.... छैल छबीला,नटखट,माखनचोर, लड्डू गोपाल,गोविंदा,जितने भी नाम लिए जाए सब कम है। इनकी पहचान भले अलग अलग नामो से जरूर की जाए मगर अपने मोहने रूप श्याम सलौने सबको मंत्र मुग्ध कर लेते ह

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