आइये कुछ बदलें.
जी हाँ, मेरा देश
कुछ बदल गया है; कुछ बदल रहा है; और बहुत कुछ बदलेगा.
ये आप सभी को ही
नहीं, विदेशियों को भी दिखाई दे रहा है. इसलिए इस के उदाहरणों देने की आवश्यकता
नहीं है. यदि किसी को नहीं दिखाई देता है तो हम उसका दृष्टि नहीं दे सकते.
क्या मैं और आप इस
बदलाव को केवल देखते ही रहेंगे (और/या आलोचना करेंगे) या इसमें भागीदार बन सकते
हैं?
क्या मैं और आप भी
सकारात्मक रूप से बदल रहे हैं या कम से कम बदलने की कोशिश कर रहे हैं ?
हम अपने ही स्तर पर
और अपनी ही सोच व आचरण से कैसे बदलाव में अपना योगदान दे सकते हैं. कुछ बिन्दुओं
को देखते हैं:
·
ट्रैफिक
अनुशासन ,
·
लाइन
बनाना
·
सफाई
-----घर की साफ़ सफाई और व्यवस्था.
·
समय
अपना व औरों का नष्ट न करें-...........
·
मीठी
वाणी –प्रयत्न
·
शिष्टाचार
–क्रोध न करें.
इत्यादि
आज केवल ट्रैफिक
में हमारे योगदान की बात करें, वह भी केवल दो बिंदु.
(कृपया फालतू हौर्न
न बजाएं. जैसा मैं अपने एक पहले लेख में लिख चुका हूँ, इससे कोई लाभ नहीं है और
sound pollution को बढ़ावा मिलता है. शायद आप में से कुछ ने हौर्न का उपयोग कम करा
होगा).
1.
वाहन
पार्किंग:
a.
आपने
अवश्य ही नोट किया होगा (नहीं किया तो अब गौर करें) की पार्किंग स्पेस का हम लोग
उचित उपयोग नहीं करते हैं बल्कि टेढ़ी मेढ़ी पार्किंग करके अन्य वाहनों के लिए जगह
भी कम कर देते हैं या न्य वाहन निकालने में परेशानी पैदा कर देते हैं.
b.
तो अपना
वाहन पार्क करते समय, कृपया पल दो पल लगा कर ये सोच लें कि किसी दूसरे वाहन
चालाक को परेशानी तो नहीं होगी.
c.
कई बार
मेरे साथ तो ऐसा हुआ (आपके साथ भी शायद हुआ हो) कि मेरे वाहन के पीछे कोई व्यक्ति
वाहन लगा कर चले जा रहे हैं; मैंने आवाज़ देकर उनसे कहा तो वह बोले “बस एक मिनट”.
मैंने कहा भाई आपके एक मिनट के लिए क्या मैं रुकने के लिए बाध्य हूँ. तब उन्होंने
मेरे ऊपर कृपा करी और अपना वाहन हटाया. ऐसा आम तौर पर दुपहिया चालक अधिक करते हैं.
2.
दायीं
और मुड़ना.
a.
कृपया
अपना व औरों का दायीं और मुड़ना observe करें. आप को स्वं ही पता चल जाएगा कि लगभग
95 % चालक क्या गलती कर रहे हैं. दायीं और मुड़ने में “Keep to left” का नियम तो
गायब ही हो जाता है और उधर से आने वाले जो वाहन बायीं और मुड़ना चाहते हैं, उन्हें
आपकी रुकावट मिलती है. कुल मिला कर सभी का अधिक समय लगता है. कई बार तो ये गलत
मुड़ना ही जाम का कारण होता है.
बस इस बार केवल इतना
ही. ऐसे ही छोटे छोटे steps से बहुत कुछ बदल सकता है. बूँद बूँद से भी सागर –कम से
कम घड़ा तो भर ही सकता है.
आइये कुछ करें.
भवदीय
वीरेन्द्र गुप्ता