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जीवन: आरंभ या शून्य

24 अप्रैल 2020

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ज़िन्दगी मुश्किल कब होती है? क्या तब जब आप जीवन के संघर्षो से लड़ते - लड़ते थक जाते है? या तब जब सारी मुश्किलें जाले की तरह साथ में आपको फांस लेती है?या फिर तब जब जीवन में आपके साथ कोई नहीं होता और आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी होती है? मेरे ख्याल से नहीं; इन सारी दुविधाओं से ज़िन्दगी मुश्किल नहीं होती और ही असफल होती है ! पता है ज़िन्दगी कब मुश्किल बन जाती है और उसके साथ हम चल नहीं पाते, जब कुछ आखें हमसे सवाल पूछती हैं और उनके जवाब हमारे पास होते हुए भी हम जवाब देने वाली स्थिती में नहीं होते। और बस यही पर हम हार जाते हैं।

सच भी तो हैं, सवालों का जवाब देना वो भी उनका, जिन्होंने जीवन की लड़ाई में आपके साथ कदमताल किया, मुमकिन नहीं होता। अगर आपको कभी लगें की आपके अपने साथ नहीं है तो आप ग़लत हैं। ये आपके अपने छोड़ते कहां हैं?उनका तटस्थ स्वभाव और उनकी मौन पीड़ा हमेशा आपको उनका एहसास कराती तो है। इस चुभन के साथ जीवन संघर्षों से उलझने का मन नहीं होता और एक गहरी सांस लेने के बाद आपका ये सोचना कि "अब बस, अब नहीं हो पायेगा", शाय़द सही होता हैं। पर जिंदगी आपको उतनी तो जीनी ही पड़ेगी, जितनी ईश्वर ने लिखी हैं, तो फिर हांफते हुए क्यों दौड़ना?आराम से आप चल सकते हैं, आपके साथ आप तो हैं ना? फिर धीरे-धीरे ही सही, जीवन में आपको चलना जायेगा। अपनों के अलगाव को हार नहीं, एक सबक मान कर चलिए, और जिंदगी को एक बार फिर शून्य से शुरू करिए......


रिंकी श्रीवास्तव

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