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खुबसूरत रिश्तों का आधार - मित्रता

7 अगस्त 2016

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              दुनियां में हमारे पर्दापर्ण होते ही हम कई रिश्तों से घिर जाते हैं .रिश्तों का बंधन हमारे होने का एहसास करता हैं .साथ ही अपने दायीत्यों व् कर्तब्यों का.जिन्हें हम चाह कर भी अनदेखा नहीं कर सकते और न ही उनसे बन्धनहीन .लेकिन सच्ची दोस्ती दुनियां का वह नायाब तोहफा हैं जिसे हम ही तय करते हैं . ज्ञान ी दोस्त ही जिन्दगी का सबसे बड़ा बरदान हैं .हमें प्यार सभी से करना चाहियें लेकिन दोस्ती सर्वोत्तम से ही करना चाहियें .अगर प्रेम दुर्लभ होता हैं तो सच्ची मित्रता सबसे दुर्लभ. मित्र दुःख में राहत, कठिनाई में पथप्रदर्शक , जीवन की खुशी हैं, जमीन का खजाना ,मनुष्य के रूप में नेंक फरिश्ता .दोस्ती अनकंडीशनल होनी चाहिये .यह बाहरी दिखावें से परे ,आतंरिक सुन्दरता, सादगी और आत्मीयता का प्रतीक होती हैं इस अटूट रोश्तएं में व्यक्ति सहगानुभूती के साथ अपने सोच विचार व् भावनायो को साझा करता हैं .दोस्ती का रिश्ता एक आयना की तरह होता हैं ,जिसमें बिना किसी मतभेद के एक दूसरें की जरूरत समझते हुए समर्थन देकर ,अवसाद के क्षणों में अच्छी सलाह व् मानसिक शांति देता हैं .जेसा कि डा. बोरिस नए कहा हैं की - जब कोइ महिला स्ट्रेस की सिकायत करती हैं तब हम उसे एक अच्छा दोस्त दूदकर उससे अपने मन की बात कहने की सलाह देते हैं .दोस्ती सच्चाई व् कोमलता से ही बनती हैं .वह हमारे अतीत को जानकर जेसी हैं वेसी ही स्वीकारती हैं .इस सम्बन्ध में एलावेर्ट नए कहा हैं की ' एक मित्र वह होता हैं जो आपके बारे में सब कुछ जानता हैं और तब भी वह आपसे प्यार करता हैं .

                 सच्ची दोस्ती दुनियां का एक नायाब ,बेशकीमती तोहफा हैं .ये हमारे सच्चे शुभ चिन्तक होतें हैं ,जो कठिनाईयों से बचाकर हमारे अर्थहीन जीवन को अर्थपूर्ण बनाकर सफलता का सच्चा रास्ता दिखाता  हैं .एक ढर्रे पर चलने वाली जिन्दगीं में नई-  नई सोच से रूबरू करवा क्र जीने का एक अलग अंदाज सिखाते हैं .सच्ची दोस्ती पारस्परिक विशवास व् समझ के कारण गहरी होती जाती है .ईसलिये यह अन्य रिश्तों से गहरी होती हैं .

                 हम अपने ख़ास दोस्त के प्रति अपनी भावना व्यक्त करने के लिए प्रति वर्ष अगस्त के प्रथम रविवार को मित्रता दिवस मनाते हैं .ईस के पीछें मित्र के प्रति सम्मान की भावना जुडी होती हैं .दोस्ती की अहमियत से ही हमें पूरे जीवन भर विना स्वार्थ के और उदार बनाए रहने की शिक्षा मिलती हैं या संदेश मिलता हैं .आज के समय में हमारे जीवन का पर्याय बन गया हैं .जेसा की खली जिब्रान जी नए कहा हैं की - एक सच्चा मित्र हमारे अभावों की पूर्ति करता हैं .आज के अशांत जीवन के द्वंद और उलझनों के बीच एक सच्चें मित्र की आवश्यकता और महत्तवता बद जाती हैं .' 

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7 अगस्त 2016
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गुप्त जी की चंद रचनाओं का विशलेषण

7 अगस्त 2016
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पद्मभूषण  से सम्मानित राष्ट्र कवि श्री मैथिली शरण जी की जयंती को प्रति वर्ष ३ अगस्त को कवि दिवस के रूप में मनाते हैं .मूल्यों के प्रति आस्था के अग्रदूत गुप्तजी चंद रचनाओं से कुछ प्रेरित प्रसंग .भारतीय संस्क्रति का दस्तावेज भारत भारती काव्य में मिलता हैं .मानव जागरण शक्ति को वरदान देती हैं ' हम कौन थ

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जिन्दगी का गडित

10 अगस्त 2016
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जिंदगी गडित के एक सवाल की तरह हैं जिसमें सम विषम संख्यायों की तरह सुलझें - अनसुलझें साल हैं .हमारी दुनियां वृत की तरह गोल हैं जिस पर हम परिधि की तरह गोल गोल घूमतें रहते हैं .आपसी अंतर भेद को व् जीवन में आपसी सामंजस्य बिठाने के लिए  कभी हम जोड़ - वाकी करते हैं तो कभी हम गुणा भाग करते हैं .लेकिन फिर भी

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तराजू सम जीवन

11 अगस्त 2016
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म्हारा जीवन तराजू समान हैं जिसमें सुख और दुःख रूपी दो पल्लें हैं और डंडी जीवन को बोझ उठाने वाली सीमा पट्टी हें .काँटा जीवन चक्र के घटने वाले समयों का हिजाफा देता हैं .सुख दुःख के किसी भी पल्ले का बोझ कम या अधिक होनें पर कांटा डगमगाने लगता हैं सुख दुःख रूपी पल्लों की जुडी लारियां उसके किय कर्मो की सू

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जीवनएक अमूल्य धरोहर हैं

12 अगस्त 2016
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 जिंदगी तमाम अजब - अनूठे कारनामों से भरी हैं .ईन्सान अपनी तमाम भरपूर कोशिशों के बाबजूद भी उस पर सवार होकर अपनी मनमर्जी से जिन्दगीं नहीं जी पाता .वह अपनी ईच्छानुसार मोडकर उस पर सवारी नहीं कर सकता .क्योकि जिन्दगीं कुदरत का एक घोडा हैं अर्थात जिन्दगीं की लगाम कुदरत के हाथों में हैं जिस पर उसके सिवाय कि

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जीवन त्योहारों जैसा होता हैं

13 अगस्त 2016
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मौसमों की तरह बदलते जीवन में आपदाओं विपदाओं का आवागमन होता रहता हैं .फिर भी हम जीवन को त्यौहारों ,उत्सवों,पर्वो की तरह जीते हैं .जीवन त्यौहारों जैसा हैं,जिसे हम हंसी ख़ुशी हर हाल में मनाते हैं .जीवन में होली के रंगों की तरह रंग - बिरंगी सुख दुःख के किस्से होते हैं -. कभी नीला रंग खुशियों की दवा देता

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जीवन एक मौसम की तरह होता हैं

14 अगस्त 2016
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ईन्सानी जिन्दगी को कुदरत ने अपने नियमों से उसके पूरे स्प्फ्र को मौसमों की तरह बाँट रखा हैं .क्योकि जिन्दगी एक मौसम की तरह होता हैं .कब उसके जीवन में बसंत भार कर दे की मनुष्य सब विपदाओं से मिले दुखित नासूर को भूलकर एक रंग - बिरंगी सपनों की दुनियां की मल्लिका बना दे .और कब यह हरा - भरा जीवन सुखी जीवन

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जिन्दगी एक जुआ हैं

15 अगस्त 2016
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