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भावनाओं को समझने की कला

19 अगस्त 2016

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दूसरों को समझने के लिए उनके जज़्बातों को नाम देना ज़रूरी है।

"मैं तंग आ चुकी हूँ... अब और नहीं, मैंने सोच लिए है, की मैं उससे जल्द ही ब्रेक अप कर लूंगी", ऐसी बातें हमको रोज़ सुनने को मिलती हैं। हमारे दोस्त हमसे अपने दिल की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में, हम कैसा जवाब देते हैं? ज़्यादा तर समय हम कहते हैं "तुझे पहले सोचना चाहिए था", या "सही है, छोड़ दे उसे" या फिर"तू देख क्या करेगी" पर हम ये समझने में असफल हो जाते हैं, की हमारे दोस्त हमसे सिर्फ सम्वेदनशीलता की आशा रखते हैं। अगर हम उन्हें समझ पाएं यही उनके लिए काफी है।

तो हमें ऐसी स्थिति में कहना चाहिए, "मैं समझती हूँ, तू बहुत निराश हुयी है, चिंतित भी है", इससे आप उनके जज़्बातों को नाम दे कर उनका वर्णन कर रहे हैं, और तब आपके दोस्त को सच में लगेगा कि आप उन्हें समझते हैं और वे अकेले नहीं हैं।
हम हमेशा यही अपेक्षा करते हैं, कि विस्तार से पढ़ें....

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