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सिर्फ एक दिन, एक दिवस, नहीं बल्कि हर पल, हर समय महिलाओ को दे सम्मान

10 मार्च 2017

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सिर्फ एक दिन, एक दिवस नहीं बल्कि हर पल, हर समय महिलाओं को दे सम्मान


आसनसोल (जहांगीर आलम) :- आज विश्व भर में महिलाओ को सम्मान देने के मकसद से महिला दिवस का पालन किया जा रहा है. इसी क्रम में आसनसोल शहर के विभिन्न स्थानों व संस्थानों में भी महिला दिवस मनाया गया. लेकिन क्या हमें जन्म देने वाली महिलाओ के लिए एक दिन का सम्मान काफी है? यदि यह सम्मान है तो हमें पुरुष दिवस का भी पालन करना चाहिए. क्योकि धरती पर नारी को देवी की संज्ञा दी जाती रही है और उन्हें सृष्टि की जननी का स्थान प्राप्त है. नारी के अनेक रूप है. कभी वह कन्या का रूप धारण कर शक्ति स्वरूपा दुर्गा बन जाती है, तो कभी सावित्री बन मौत के मुंह से भी अपने पति के प्राणों को छिन लाती है. नारी से ही सारे रिश्ते- नाते उत्पन्न होते हैं. इसलिए इसे सम्बंधों की जननी भी कहा जाता है. जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवताओ का वाश होता है. नारी अबला भी होती है और सबला भी. नारी ही अर्द्धगिनी है और नारी ही माँ - बहन है. नारी ही जगत की माता है और नारी ही दुष्ट विनाशक है. इसकी जितनी भी उपमा दी जाए वो कम ही होगी. महिला दिवस पर आज पूरी दुनिया आज महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर गंभीरता से विचार कर रहा है. लेकिन सच्चाई है कि बदलते समय में आज नारी देवी नहीं भोग की वस्तु बनकर रह गयी है. बीसवीं सदी को नारी सदीं माना जा रहा है और इसमें नारी की भूमिका में बदलाव होने जा रहे है. अब तक ने नारी पर राज किया, किन्तु आने वाले समय में पुरूष की जगह नारी प्रधान होगी तथा पुरूषों को उसके इशारे पर चलना होगा. नारी ममता की सागर है तो ज्वालामुखी से ज्यादा आग भी रखती है. वही महिला दिवस पर सामाजिक कार्यकर्ता मंजू गुप्ता ने कहा अब महिलाओं को सिर्फ कठपुतली बन कर नहीं रहना है, अपनी क्षमता का विकास और सदुपयोग कर सम्मानीय स्थान हासिल करना है. उन्होंने कहा हमें सिर्फ तस्वीरें लेने और प्रचारित करने से सफलता हासिल नहीं हो सकती. आईये अपनी प्रबल शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग परिवार, समाज, एवं राष्ट्र के उत्थान में करें. प्रत्येक कार्य में इतना परिश्रम करें कि ऐसा लगने लगे कि हमारे बिना कार्य पूर्ण ही नहीं सकता है. स्त्री शक्ति को सादर नमन और आज ही नहीं संसार के क्षितिज पर प्रत्येक दिन के लिये हार्दिक बधाई देती हूँ. उन्होंने कहा कि आज हर जगह, हर क्षेत्र में महिलाओं का अपमान होना आम बाते हो गई है, कोई भी दिन ऐसा नहीं कि महिलाओं की अपमान की खबर अखबारों में नहीं छपती है.आज दुनिया में महिलाओं के साथ बहुत अन्याय हो रहा है तथा उसे देवी की जगह शारीरिक सुख का एक माध्यम माना जाने लगा है. कुछ देशों में महिलाओं की तस्करी तक हो रही है. उन्हें गुलाम बनाया जा रहा है. उनके मूल अधिकारों पर हमला किया जा रहा है तथा उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर उन्हें सबला से अबला बनाया जा रहा है. गौरतलब है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ), सोशल इंस्टिट्यूशन एंड जेंडर इंडेक्स, यूनाइटेड नेशन, और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2186 तक लिंगानुपात में बड़ा गैप रहेगा और 10 ऐसे देश हैं जहां महिलाओं का जीवन सुरक्षित नही है. भारत के पड़ोसी देश नेपाल में महिलाओं को मूल सुविधाएं नहीं पा रहे हैं.आज भी महिलाऐं अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रही है. इस देश में 24 में से एक महिला की मौत प्रेग्नेंसी के दौरान या बच्चे को जन्म देते समय हो जाती है. पुराने ख्यालात वाले लोग प्रसव के समय महिलाओं को अस्पताल की जगह घर के बंद कमरे में ही प्रसव करवाते है. वै ज्ञान िक युग में भी संस्थागत प्रसव के जगह परंपरागत प्रसव के लिए महिलाएं मजबूर हैं. इस देश में आज भी बाल-विवाह की परम्परा है और अगर किसी कारण से लड़की की शादी नहीं हो पाती है तो उसे बेच दिया जाता है. अन्य देशो की तरह अपने देश में भी महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है. समाज में हर दिन निर्भया और सोनाली जैसी घटनाऐं घटित हो रही है. महिलाओं के अधिकारों का हनन किया जा रहा है और उन्हें कामवासना की पूर्ति का साधन बनाया जा रहा है. महिलाओं का अकेले बाहर निकलना दुश्वार हो रहा है तथा उनकी आबरू सुरक्षित नहीं है. अपनी कानून व्यवस्था पर भी हंसी और गुस्सा आता है. हम शराब के नशे में भी अपने परिवार की महिलाओं को पहचान लेता है, लेकिन पराई औरतो को हवस के नजरिया से देखते है. आज पूरी दुनिया आधी आबादी के हितों व अधिकारों की सुरक्षा के लिये महिला दिवस मना रही है. एक तरफ खबरिया चैनलों,अखबारों में नारी देवी बताया जा रहा है, तो चौक चौराहों पर नारी सम्मान को लेकर बड़े-बड़े व्याख्यान लगाए गए है. पर इतिहास गवाह है कि सदियों से नारी किसी भी रुप में हो, उसका अपमान होता रहा है. लेकिन अब समय बदल रहा है. इसलिए हमें भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी और महिलाओं का उपहास ना कर उन्हें सम्मानपूर्वक सहयोग देना होगा. तभी समाज में महिलाओं को उचित दर्जा हासिल हो सकेगा. 8 मार्च 1909 से लगातार हर वर्ष हम महिला दिवस मनाते आ रहे है लेकिन आज हमें संकल्प लेना होगा कि सिर्फ एक दिन, एक दिवस नहीं बल्कि हर पल, हर समय महिलाओं को सम्मान देना होगा.

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