shabd-logo

नवरात्री का वैज्ञानिक महत्व क्या है

28 मार्च 2017

655 बार देखा गया 655
featured image

हमारे देश में साल भर अलग-अलग प्रकार के उत्सव मनाने की हमेशा से एक परम्परा रही है जैसे कि दिवाली, दशहरा, होली, शिवरात्री और नवरात्रि(Navratri)आदि लेकिन इनमे से कुछ उत्सव को हम रात्रि में ही मनाते है-इनका अगर कोई विशेष कारण न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता है नवरात्रि का वै ज्ञान िक आधार क्या है दरअसल नवरात्र शब्द से “नव अहोरात्रों(विशेषरात्रियों)का बोध” होता है और इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है क्योंकि “रात्रि”शब्द सिद्धि का प्रतीकमाना जाता है-


Navratri-नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व नवरात्रि(Navratri)के दिन नवदिन नहीं कहे जाते हैं लेकिन नवरात्रि के वैज्ञानिक महत्व को समझने से पहले हम थोडा नवरात्रि को समझे-हमारे मनीषियों ने वर्ष में दो बार नवरात्रों(Navratri)का विधान बनाया है मतलब कि विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा(पहली तिथि)से नौ दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार इसके ठीक छह मास पश्चात् आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक नवरात्रि(Navratri)मनाया जाता है-लेकिन फिर भी सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है और इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम,यज्ञ, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते हैं-


जो व्यक्ति मंत्रो का सिद्ध करना चाहता है वो साधक इन रात्रियों में पूरी रात पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर आंतरिक त्राटक या बीज मंत्रों के जाप द्वारा विशेष सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं-


नवरात्रों(Navratri)में शक्ति के 51 पीठों पर भक्तों का समुदाय बड़े उत्साह से शक्ति की उपासना के लिए एकत्रित होता है और जो उपासक इन शक्ति पीठों पर नहीं पहुंच पाते वे अपने निवास स्थल पर ही शक्ति का आह्वान करते हैं-


अधिकांश उपासक शक्ति पूजा रात्रि में नहीं बल्कि पुरोहित को दिन में ही बुलाकर संपन्न करा देते हैं यहाँ तक कि सामान्य भक्त ही नहीं अपितु पंडित और साधु-महात्मा भी अब नवरात्रों(Navratri) में पूरी रात जागना नहीं चाहते और ना ही कोई आलस्य को त्यागना चाहता है-


वैज्ञानिक रहस्य- आज कल बहुत कम उपासक ही आलस्य को त्याग कर आत्मशक्ति,मानसिक शक्ति और यौगिक शक्ति की प्राप्ति के लिए रात्रि के समय का उपयोग करते देखे जाते हैं जबकि मनीषियों ने रात्रि के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया और अब तो यह एक सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्य भी है कि रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं और हमारे ऋषि-मुनि आज से कितने ही हजारों-लाखों वर्ष पूर्व ही प्रकृति के इन वैज्ञानिक रहस्यों को जान चुके थे-


एक वैज्ञानिक रहस्य ये भी है कि अगर दिन में आवाज दी जाए तो वह दूर तक नहीं जाती है किंतु यदि रात्रि को आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है इसके पीछे दिन के कोलाहल के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं-रेडियो इस बात का जीता जागता उदाहरण है जहाँ आपने खुद भी महसूस किया होगा कि कम शक्ति के रेडियो स्टेशनों को दिन में पकड़ना अर्थात सुनना मुश्किल होता है जबकि सूर्यास्त के बाद छोटे से छोटा रेडियो स्टेशन भी आसानी से सुना जा सकता है इसका वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि सूर्य की किरणें दिन के समय रेडियो तरंगों को जिस प्रकार रोकती हैं ठीक उसी प्रकार मंत्र जाप की विचार तरंगों में भी दिन के समय रुकावट पड़ती है-


इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने रात्रि का महत्व दिन की अपेक्षा बहुत अधिक बताया है मंदिरों में घंटे और शंख की आवाज के कंपन से दूर-दूर तक वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है यही रात्रि साधना का वैज्ञानिक रहस्य है जो इस वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए रात्रियों में संकल्प और उच्च अवधारणा के साथ अपने शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं उनकी कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना सिद्धि उनके शुभ संकल्प के अनुसार उचित समय और ठीक विधि के अनुसार करने पर अवश्य होती है-


नवरात्र के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियाँ हैं जिनमे से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है और ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियाँ बढ़ती हैं अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम है"नवरात्रि"-


क्या नवरात्रि(Navratri)में नौ दिन या नौ रात को गिना जाना चाहिए-तो मैं यहाँ बता दूँ कि अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी ‘नवरात्रि’ नाम सार्थक है चूँकि यहाँ रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्रि यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है रूपक के द्वारा हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है-


इन मुख्य इन्द्रियों के अनुशासन,स्वच्छ्ता,तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में-शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है और इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं-


हालाँकि शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन,सफाई या शुद्धि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर छ: माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है जिसमे सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुध्दि,साफ सुथरे शरीर में शुद्ध बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म,कर्मों से सच्चरित्र और क्रमश: मन शुध्द होता है क्योंकि स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है-


जीवनी शक्ति रूपी दुर्गा के नौ रूप हैं-


1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3. चंद्रघंटा 4. कूष्माण्डा 5. स्कन्दमाता 6. कात्यायनी 7. कालरात्रि 8. महागौरी 9. सिध्दीदात्री


इनका नौ जड़ी बूटी या ख़ास व्रत की चीजों से भी सम्बंध है जिन्हें नवरात्र के व्रत में प्रयोग किया जाता है-


1. कुट्टू (शैलान्न) 2. दूध-दही(.ब्रह्मचारिणी) 3. चौलाई (चंद्रघंटा) 4. पेठा (कूष्माण्डा) 5. श्यामक चावल (स्कन्दमाता) 6. हरी तरकारी (कात्यायनी) 7. काली मिर्च व तुलसी (कालरात्रि) 8. साबूदाना (महागौरी) 9. आंवला(सिध्दीदात्री)


ये नौ प्राकृतिक व्रत के खाद्य पदार्थ हैं लेकिन बेटों वाले परिवार में या पुत्र की चाहना रखने वाले परिवार वालों को नवमी में व्रत खोलना चाहिए-


Upcharऔर प्रयोग-

7
रचनाएँ
Upcharaurpryog
0.0
ये वेबसाईट उपचार और सामान्य समस्याओं और ब्यूटी टिप्स, यौन संबंधित समस्याओं और पुरुष और महिलाओं के लिए उनके समाधान के लिए उपयोग के बारे में है तथा घर के उपचार, आयुर्वेद उपचार, हिंदी में आयुर्वेद उपचार होम्योपैथी उपचार पुरुष और महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उपचार के बारे में पढ़ सकते हैं-
1

Homeopathy-My talk With you-मेरी बात आपके साथ

10 मई 2016
0
1
1

My talk With you-मेरी बात आपके साथ -लगभग पिछले पैतालीस वर्षो से मै होम्योपैथी चिकित्सा जगत से जुड़ा हुआ हूँ इस बीच मुझे लाखो रोगियों की सेवा करने का सुअवसर मिला है -यद्यपि होम्योपैथी के सिधान्तों के अनुसार प्रत्येक रोगी अपनी एक अलग छाप रखता है तथा उसकी चिकित्सा सामूहिक आधार पर न होकर व्यक्तिगत आधार प

2

Homeopathy-Bed-wetting-बिस्तर गीला करना

11 मई 2016
0
5
0

मेरे मुरार(ग्वालियर) के क्लिनिक पर एक बहुत बुजुर्ग सज्जन उस समय आये जब में सब मरीज निपटाकर घर जाने की तैयारी में था जब मैंने उनसे आने का कारण पूछा तो उनकी आँखों से आँसू झरने लगे वे बोले, सुबह जब नाती पर डाँट पडती है तो मुझे बहुत बुरा लगता है तब मै चौंका और मैंने कहा साफ साफ बताइये बात क्या है वे बोल

3

Upcharaurprayog-Native-Treatment-Hunger-देशी इलाज भूंख लगने का

13 मई 2016
0
4
1

आजकल भूख न लगने की समस्या एक गंभीर रोग की तरह होने लगी है, और लोग भूख बढ़ाने के लिए तरह तरह के Supplements(सप्लीमेंटस) लेने लगते हैं जो शरीर और स्वास्थ दोनों के लिए खतरनाक है पाचन तंत्र में किसी गड़बड़ी के कारण भोजन न पचने को अजीर्ण या अपच(Indigestion or dyspepsia) भी कहते हैं-कई बार समय-असमय भोजन करने

4

Benefits of Amla in your life-आपके जीवन में आंवला के लाभ

13 मई 2016
0
3
0

मनुष्य आज जितना दिनों -दिन nature(प्रकति) से दूर होता जा रहा है उतना ही रोगों से उसका रिश्ता बढ़ गया है आप जरा सोचे पहले लोग क्यों स्वस्थ रहा करते थे उनका life(जीवन) भी उनका सुखमय था मेरा आशय धन से सुखी होना नहीं है शारीरिक सुख से सूखी होना ही मेरा तात्पर्य है क्या आपको इसका कारण समझ आता है ?पहले लोग

5

बरगद पूरा वरदान है जीवन में - Banyan's full blessing in life

25 मई 2016
0
3
2

बरगद पूरा वरदान है जीवन में - Banyan's full blessing in life-प्रकृति का एक वरदान है 'बरगद' ये कभी नष्ट नहीं होता है बरगद का वृक्ष घना एवं फैला हुआ होता है इसकी शाखाओं से जड़ें निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए जमीन के अंदर घुस जाती हैं एवं स्तंभ बन जाती हैंबरगद को अक्षय वट भी कहा जाता है-बरगद(Ban

6

How To Increase Memory-स्मरण शक्ति कैसे बढायें

17 जून 2016
0
2
0

बहुत से लोगों को भूलने की बिमारी होती है उनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है तो आप को किसी पाठ को रटने की जगह याद करने की आदत डालनी चाहिए जी हाँ सुनने में आपको क्या लगता है क्या हम मजाक कर रहे है - जी नहीं ये सत्य है कि चमत्कारिक रूप से आपके थोड़े से प्रयास से आपकी स्मरण शक्ति ऐसी हो जायेगी कि आप सोच भ

7

नवरात्री का वैज्ञानिक महत्व क्या है

28 मार्च 2017
0
1
0

हमारे देश में साल भर अलग-अलग प्रकार के उत्सव मनाने की हमेशा से एक परम्परा रही है जैसे कि दिवाली, दशहरा, होली, शिवरात्री और नवरात्रि(Navratri)आदि लेकिन इनमे से कुछ उत्सव को हम रात्रि में ही मनाते है-इनका अगर कोई विशेष कारण न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए