आपने भी शायद यह कई बार सुना होगा। लेकिन आज लता को जब यह सासूमाँ ने बोला तो वह भौचक रह गयी। उसकी आँखें डबडबा गई । पिछले १० साल मानो उसके नज़र के सामने से एक पल में निकल गया हो । जब नई नवेली दुल्हन बनकर उसने अपने पति के घर में पहला कदम रखा था। बस बीस साल की थी तो वह। कितनी गलतिया की थी उसने शुरू के उन दिनों में। कभी सुबह उठने में देर, कभी खाने में नमक ज्यादा, कभी गरम पतीले से अपनी उंगलिया जलना । अपने पापा की लाडली जो थी वह, सभी भाइयो से छोटी। माँ ने कभी घर का काम करवाया ही नहीं था ना।
लेकिन उसने एक बहु का कर्तव्य खूब निभाया। कुछ ही सालो में उसने सारे घर की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। नए नए तरह का खाना बनाना, घर और सास ससुर को संभालना और पति के पसंद नापसंद का पूरा ख़याल रखना। फिर बच्चे की जिम्मेदारी आयी, उसकी स्कूलिंग, घर पर पढ़ाना इत्यादि । एक साल पहले देवर की शादी हुई और देवरानी घर आयी। रिया कॉलेज में लेच्चरर थी। शादी के बाद यह मुद्दा घर में उठा की रिया को नौकरी जारी रखनी चाहिए या नहीं। दोनों बेटे अच्छे पोस्ट पर थे तोह रिया को नौकरी करने की क्या जरूरत थी। स्वभावतः रिया अपनी नौकरी जारी रखना चाहती थी। जब घर में इस बात पर चर्चा हुई तो लता ने बेझिझक कहा की घर को संभाने के लिए तोह वह है ना, आज तक वह ही तोह सब कुछ संभालती आयी है। आखिर रिया उसकी छोटी देवरानी मानो छोटी बहन ही तोह हुई। ऐसा नहीं है की रोज रोज घर का ढेर सारा काम करने के बाद वह थकती नहीं थी। अगर काम बट जाये तो किसे नहीं अच्छा लगता। लेकिन आखिर अगर आज वह रिश्तो में मिठास डालेगी तब ही तो कल होकर वह रिश्ते खिलेंगे और ख़ुशी देंगे। रिया ने अपनी नौकरी जारी राखी।
आज सासुमाँ के दिल्ली वाले भाई-भाभी और उनके ३ बेटे छुट्टी मानाने आये थे। वह उनके साथ ३ दिन ही रहने वाले थे। लाजमी है की सासुमाँ ने हर रोज तरह तरह के पकवानों की खवाइश की थी। जर्मी का दिन था लेकिन लता ने साब कुछ समय से तैयार कर लिया। जब सब खाने बैठे तो पनीर में नमक थोड़ा ज्यादा था और पनीर थोड़ी करक हो जाई थी । सासुमा ने भौ चढ़ा लिया लेकिन सबका लिहाज कर लता को कुछ कहा नहीं। किस्मत ऐसी की सुबह जब सब उठे और चाय की तलब की तोह फ्रिज में दूध ही नहीं था। सासुमा की भृकुटि चढ़ गयी, उन्होंने अपनी आपा खो दी। वह लता पर जुस्से से चिल्लाने लगी।
"कल तुमने १ किलो पनीर का सत्यानाश कर दिया। पूरे खाने में ही कोई स्वाद नहीं आया। और आज तुम्हे इतना भी ख्याल नहीं है की सुबह की चाय के लिए दूध मंगवा कर रखे । रिया तो वर्किंग है लेकिन तुम तो घर पे रहती हो। क्या करती हो सारे दिन ? इतनी छोटी सी बात भी याद नहीं रख सकती हो। मेरी किस्मत ही ऐसी है, क्या करू । "
लाता की आँखें दबदबा गई। कहा यही है वह रिश्तो की मिठास जिसके लिए उसने घर की सारी जिम्मेदारी अपने सर पर ले रखगी थी। रिया के हाथों पर पार्लर में लगाए हुए नैलपैंट और उसके हाथों पे घिसे हुए नाखून। एक चाय की ही तो बात थी, बेटे को बोलकर पांच मिनट में मिल्क बूथ से दूध मंगवा भी तो सकती थीं । क्या मैं दिनभर घर पर बैठ कर मज़्ज़े मरती हूँ और रिया दिनभर ऑफिस में कमरतोड़ मेहनत करती है ? क्या वह भूल गयी की रिया इसलिए वर्किग है क्योंकि लता ने घर का सारा काम संभाल रखा है। क्या हाउसवाइफ होने के कारण उसका दर्जा घर में कम होना चाहिए?
साभार :
https://www.mycity4kids.com/parenting/mandavi-jaiswal/article/vh-to-vrking-hai-lekin-tum-to-ghr-pe-rhtii-ho