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गीत ---- गोपालदास नीरज

14 जून 2017

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धनियों के तो धन हैं लाखों ,मुझ निर्धन के धन बस तुम हो |

कोई पहने माणिक माला ,

कोई लाल जडावे |

कोई रचे महावर मेहदी ,

मुतियन मांग भरावे |

सोने वाले , चांदी वाले , पानी वाले पत्थर वाले ,

तन के तो सौ सौ सिंगार हैं , मन के आभूषण बस तुम हो |

कोई जाये पुरी द्वारिका ,

कोई ध्यावे काशी |

कोई रमे त्रिवेणी संगम ,

कोई मथुरा वासी |

पूरव् पश्चिम , उत्तर दक्खिन , भीतर बाहर , सब जग जाहर

संतों के सौ सौ तीरथ हैं , मेरे वृदावन बस तुम हो |

कोई करे गुमान रूप पर ,

कोई बल पर झूमे ,

कोई मारे डींग ज्ञान की ,

कोई धन पर घूमे |

काया माया जो रम जाता , जस अपजस , सुख दुःख नीय तापा ,

जीना मरना सौ सौ विधि से , मेरे जनम मरण बस तुम हो |

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत ही अच्छा गीत है |

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धनियों के तो धन हैं लाखों ,मुझ निर्धन के धन बस तुम हो | कोई पहने माणिक माला , कोई लाल जडावे | कोई रचे महावर मेहदी , मुतियन मांग भरावे |सोने वाले , चांदी वाले , पानी वाले पत्थर वाले ,तन के तो सौ सौ सिंगार हैं , मन के आभूषण बस तुम हो | कोई ज

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