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कविता- जीएसटी

10 सितम्बर 2017

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मैं सो रही थी मुझे उठाया गया,

नींद में ही गाडी में बैठाया गया !

होश में आती उससे पहले ही बताया गया,

व्यापार ियों का खून चूसने जीएसटी लगाया गया !


अधिकारी के दफ़्तर संग लाया गया,

टेक्स का सारा दुख जताया गया !

टेक्स का सारा दुख जताया गया,

मुझे अधिकारी के दफ़्तर लाया गया !


बोले पहल तुम करोगी हमारी,

दलदल में मुझ बेचारी को फसाया गया !

मुझ बेचारी को दलदल में फसाया गया,

व्यापारियों का एक एक दुख सुनाया गया !


कौन हो तुम, आयी हो कहां से ?

आंखें दिखाकर मुझपर चिल्लाया गया !

आंखें दिखाकर मुझपर चिल्लाया गया ,

फ़िर भीड़ से मेरे बारे में पुछ्वाया गया !


समाज सेविका जान दफ़्तर में बुलाया गया,

फ़िर जीएसटी का मतलब समझाया गया !

जीएसटी का मतलब समझाया गया,

जनता को समझाने का काम दिलाया गया !


नींद - नींद में सफल लीडर बनाया गया ,

लीडर बन मंच पर भाषण सुनाया गया !

लीडर बन मंच पर भाषण सुनाया गया ,

नींद खुली तो खुद को बिस्तर पर पाया गया !


युवा लेख िका- जयति जैन (नूतन)

रानीपुर झांसी उ.प्र.

(स्वरचित)

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अच्छा प्रयास है |

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कुछ चली कुछ रुकी शायदमुझसे कुछ कह रही थीवो यादो की तेज़ हवामेरे लिये ही बह रही थीमैं रोकती भी तो केसे उसेवो लहर जो दिल में उठी थीगहरी इतनी की सागर भी समा जाये तूफ़ान ऐसा कि सब उडा ले जायेमेरी आंखे जो अश्रू से भरी थी बारिश के पानी सी तेज बरसी थींबस उज़डे गुलिस्तां क

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कविता- जीएसटी

10 सितम्बर 2017
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मैं सो रही थी मुझे उठाया गया,नींद में ही गाडी में बैठाया गया !होश में आती उससे पहले ही बताया गया, व्यापारियों का खून चूसने जीएसटी लगाया गया !अधिकारी के दफ़्तर संग लाया गया,टेक्स का सारा दुख जताया गया !टेक्स का सारा दुख जताया गया,मुझे अधिकारी के दफ़्तर लाया गया !बोले पहल तुम करोगी हमारी,दलदल में मुझ बे

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