मैंने साईकिल उठाई और चल दिया
रोज़ रोज़ की ज़िंदगी की वही पुनर्वित्तीयो से तंग आकर आज मन कुछ नया करने को कहा सो मैंने अपना कैमरा , साइकिल व अपनी डायरी उठाई और चल दिया अनजान राहो पर |
अपने यूनिवर्सिटी से मै यही कोई 1.5 किमी दूर आया था की सामने पगडण्डी देखकर साइकिल को वही उतार लिया और करीब 3 किमी आगे गया | वैसे मै यहाँ पहले भी आ चुका हु कुछ भी नहीं बदला ये गांव ; वही सूर्य का डूबना, गांव के पुराने बुजुर्ग पुरुष व महिलाये अपने जानवरो को दिनभर चराकर वापस घर को लौट रहे थे, एक नययुवक संभवत नया मोबाइल फ़ोन लाया था तो सारे गांव के तरुण ओ तरुणी उसे घेरकर एक अजीब सा आनंद ले रहे थे , वही पास के चाय के टपरी पर गांव का एक पोलिटिकल ग्रुप अपने तर्क व वितर्क कर रहे थे है ये बात अलग है की कुछ कुतर्क भी कर रहे थे इसमें उनको बड़ा आनंद आ रहा था , पास मै ही कुछ दूरी पर खजूर के पेड़ के नीचे व पुलिस से छिपकर बीड़ी के धूहो व कमला पसंद व बाबा सुपारी के पैकेट से सजा एक चबूतरा जहा करीब 10-12 सम्भ्राँत लोग बैठकर ताश का मज़ा ले रहे थे तो 2-4 उनके पर्सनेल अस्सिस्टेंस उनकी तीमारदारी , इन्ही सब को देखते हुए मै आगे बढ़ता गया तभी इस अकाल वाली गर्मी मैं एक तालाब देखा जो पानी से भरा हुआ था , मैं 14-15 भैंस आराम से दुनिआ- दारी से बेखभर अपने सो कॉल्ड स्विमिंग पूल का आनद ले रही था पता करने पर पता चला की ये तालाब कोई 12 साल पहले शोभन प्रधान ने बनवाया था अब उसमे मछली पालन का व्यवसाय कर रहे थे,
आगे बढ़ने पर देखा की जे सी बी से नहर के किनारे किनारे गहराई का काम चल रहा था जिसे देखने गांव की आधी आबादी आई थी व साथ , यही आनद है गांव का एकदम सरल निष्कपट अवं व्यवारिक सोच के होते है है ये बात अलग है की कही कही थोड़ी बहुत मात्रा मैं रूढ़िवादिता है पर अब ये ख़त्म होने के कगार ओर है आज का गांव पुरानी रीति रिवाजो के साथ टेक्नोलॉजी को भी अपना रहा है |
अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब गांव से न सिर्फ शहरो मैं पलायन रुकेगा बल्कि जो गांव का व्यक्ति शहर मे नर्क की ज़िंदगी जी रहा है ( पैसे की खातिर ) न सिर्फ गांव की और फिर से रुख करेगा बल्कि फिर से एक सुखी अवं संपन्न जीवन व्यतीत करेगा |
आज भारत सरकार ने ऐसे बहुत से कार्यक्रम लांच कर रखा है जिसके द्वारा गांव के व्यक्ति का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि साथ साथ वो सतत विकास की और अग्रसर होगा , ज़रुरत है तो बस एक पहल की | धन्यबाद