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गांव की यात्रा पर कुछ लम्हें ||

20 मई 2018

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मैंने साईकिल उठाई और चल दिया

रोज़ रोज़ की ज़िंदगी की वही पुनर्वित्तीयो से तंग आकर आज मन कुछ नया करने को कहा सो मैंने अपना कैमरा , साइकिल व अपनी डायरी उठाई और चल दिया अनजान राहो पर |

अपने यूनिवर्सिटी से मै यही कोई 1.5 किमी दूर आया था की सामने पगडण्डी देखकर साइकिल को वही उतार लिया और करीब 3 किमी आगे गया | वैसे मै यहाँ पहले भी आ चुका हु कुछ भी नहीं बदला ये गांव ; वही सूर्य का डूबना, गांव के पुराने बुजुर्ग पुरुष व महिलाये अपने जानवरो को दिनभर चराकर वापस घर को लौट रहे थे, एक नययुवक संभवत नया मोबाइल फ़ोन लाया था तो सारे गांव के तरुण ओ तरुणी उसे घेरकर एक अजीब सा आनंद ले रहे थे , वही पास के चाय के टपरी पर गांव का एक पोलिटिकल ग्रुप अपने तर्क व वितर्क कर रहे थे है ये बात अलग है की कुछ कुतर्क भी कर रहे थे इसमें उनको बड़ा आनंद आ रहा था , पास मै ही कुछ दूरी पर खजूर के पेड़ के नीचे व पुलिस से छिपकर बीड़ी के धूहो व कमला पसंद व बाबा सुपारी के पैकेट से सजा एक चबूतरा जहा करीब 10-12 सम्भ्राँत लोग बैठकर ताश का मज़ा ले रहे थे तो 2-4 उनके पर्सनेल अस्सिस्टेंस उनकी तीमारदारी , इन्ही सब को देखते हुए मै आगे बढ़ता गया तभी इस अकाल वाली गर्मी मैं एक तालाब देखा जो पानी से भरा हुआ था , मैं 14-15 भैंस आराम से दुनिआ- दारी से बेखभर अपने सो कॉल्ड स्विमिंग पूल का आनद ले रही था पता करने पर पता चला की ये तालाब कोई 12 साल पहले शोभन प्रधान ने बनवाया था अब उसमे मछली पालन का व्यवसाय कर रहे थे,

आगे बढ़ने पर देखा की जे सी बी से नहर के किनारे किनारे गहराई का काम चल रहा था जिसे देखने गांव की आधी आबादी आई थी व साथ , यही आनद है गांव का एकदम सरल निष्कपट अवं व्यवारिक सोच के होते है है ये बात अलग है की कही कही थोड़ी बहुत मात्रा मैं रूढ़िवादिता है पर अब ये ख़त्म होने के कगार ओर है आज का गांव पुरानी रीति रिवाजो के साथ टेक्नोलॉजी को भी अपना रहा है |

अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब गांव से न सिर्फ शहरो मैं पलायन रुकेगा बल्कि जो गांव का व्यक्ति शहर मे नर्क की ज़िंदगी जी रहा है ( पैसे की खातिर ) न सिर्फ गांव की और फिर से रुख करेगा बल्कि फिर से एक सुखी अवं संपन्न जीवन व्यतीत करेगा |

आज भारत सरकार ने ऐसे बहुत से कार्यक्रम लांच कर रखा है जिसके द्वारा गांव के व्यक्ति का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि साथ साथ वो सतत विकास की और अग्रसर होगा , ज़रुरत है तो बस एक पहल की | धन्यबाद

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रचनाएँ
professorsab
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नमस्कार दोस्तों ! मेरा यह लेखनी उन सभी युवाओ को समर्पित है जो मेरी तरह इस आधुनिक युग मै अपनी भावनाओ को उकेरना चाहते है |
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ये जीवन आखिर क्या है ?

9 फरवरी 2018
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जीवन के सन्दर्भ में एक सुन्दर कविता ये जीवन आखिर क्या है ? इक सुन्दर कली या , इक सूखा कांटा |इक महकती बागवानी या ,इक गन्दा नाला | इक जवान सुन्दर युवती या ,इक कुपोषण का शिकार वृद्ध | इक उजड़ा हुआ घर या , इक जीवन समृद्ध |

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यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर का मायाजाल !!!!!!!

10 फरवरी 2018
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ये सेमेस्टर का भी मायाजाल कम नहीं है , मिड गया तो फाइनल , फाइनल गया तो मिड आखिर ज़िंदगी क्या ये मिड और फाइनल मै ही सिमट कर रह गया है ? कभी कभी तो लगता है सब कुछ छोड़ छाड़ कर वही अपनी पुरानी स्कूल लाइफ को जीने लगूँ | जहा ना प्र

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यूनिवर्सिटी में वैलेंटाइन का ख़ुमार !!!

11 फरवरी 2018
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छूकर उसकी खुश्बू मेरे मन को ,पागल कर गई आज |पर मै भी पगला बेवजह ताकता रहा ,और हो गई सांझ |मन ने कहा नहीं आएगी वो आज ,पर दिल भी कहा आने वाला था बाज़ | कहा वो आएगी ज़रूर ,चाहे उसे छोड़ना पड़े काम और काज | सेमेस्टर का एग्जाम खत्म हो जाय

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जब करने लगे दाँत दर्द !!!

12 फरवरी 2018
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जब करने लगे दांत दर्द ,और बहने लगे हवा सर्द | जब सोना पड़े चटाई पर ,और रोना पड़े पढाई पर | जीवन हो जाये भागम भाग ,और एग्जाम भी आ जाये एकदम पास | जब मैगी पर रहना हो ज़िंदा ,तो नीरज भइया कैसे रहे चंगा | जब सारी दूध पी जाये बिल्ली ,और दोस

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ये ही है वो संगीत

22 फरवरी 2018
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मेरे मन को झंकृत कर दे ,आज लिखू मै ऐसा गीत | फिर गाकर जिसको मेरा मन कहे ,ये ही है वो संगीत | पीने वाले रस को पीकर ,न हो कभी भी भयभीत | तभी मेरा मन कहे मुझसे ,ये ही है वो संगीत | और गाकर जिसको बंध जाये ,मुझसे मेरा मनमीत |

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इस्लाम धर्म की पुनर्परिभाषा : आज के समय की माँग

3 मार्च 2018
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आज विश्व तेजी से बदल रहा है और साथ ही जनसँख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है, भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है | आज की नया पीढ़ी पुरानी रूढ़िवादी मान्यताओं को तेजी से खत्म कर एक नए समाज का निर्माण कर रही है | आज के उदारवादी माहौल मै कट्टरवादी विचारधारा को किसी भी हाल मै बर्द

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आखिर कौन हूँ मै ? कोई बताओ

8 मार्च 2018
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कभी एक कवि ,तो कभी सिर्फ एक गुमनाम छवि हूँ मै | कभी एक अँधेरी रात ,तो कभी एक भयंकर बरसात हूँ मैं | कभी एक प्यारी मुस्कुराती शायरी ,तो कभी एक गुमनाम डायरी हूँ मैं |

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कैसे पास करें UPCATET की परीक्षा ......

14 मई 2018
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UPCATET की तैयारी जोरों शोरो पर | परीक्षा देने जाने से पूर्व इन बातों का रखे ख्याल ....1. इस बार UPCATET का परीक्षा नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या करा रही है | 2. लड़के फुल स्

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गांव की यात्रा पर कुछ लम्हें ||

20 मई 2018
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एक इश्क़ जो अभी हुआ नहीं ||

20 मई 2018
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'' एक सूरज जो अभी ऊगा नहीं , एक चंदा जो अभी डूबा नहीं | एक कुसुम जो अभी खिला नहीं , एक भौंरा जो अभी पराग चुना नहीं | एक मशाल जो अभी जला नहीं , एक मिशाल जो अभी बना नहीं | एक इश्क़ जो अभी हुआ नहीं

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अच्छा लगता है।

29 अप्रैल 2019
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मुझे नींद की तलब नहीं, पर रातों को जागना अच्छा लगता है। मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं, पर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है। जाने मुझे हक है या नहीं, पर उसकी परवाह करना अच्छा लगता है। उसे प्यार करना सही है या नहीं, पर इस एहसास में जीना अच्छा लगता है। कभी हम साथ होंगे या नहीं, पर य

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