कौन है वो लड़की, जो वायरल हो रही इस फोटो में नेहरू को चूम रही है?
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अगर आप सोशल मीडिया पर हैं और ये सब नहीं देखा-पढ़ा. मतलब आपने कुछ देखा ही नहीं. दर्जनों तस्वीरें. दर्जनों विडियो. सोशल मीडिया पर नेहरू की ‘चरित्रहीनता’ साबित करने के लिए एक खजाना मौजूद है. इसी खजाने में शामिल एक पोस्ट पिछले कई महीनों से खूब वायरल हो रहा है. लोग चटखारे लेकर शेयर कर रहे हैं. मजे ले रहे हैं. आज की हमारी पड़ताल में इसी पोस्ट का जिक्र है.
क्या है इस वायरल पोस्ट में? एक तस्वीर है. वही मेसेज है. साथ में एक लाइन भी लिखी है. शब्द हैं-
आजादी की लडाई मे बाए गाल पर लगी गोली से घायल चाचा नेहरू.
(नोट: ऑथेन्सिटी के चक्कर में हमने व्याकरण की गलतियां ठीक नहीं की हैं.)
ऐसी ही एक वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट (क्रेडिट- फेसबुक)
इसी वायरल पोस्ट का एक सैंपल (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
ऐसे तमाम मेसेज इस तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं (फोटो: फेसबुक)
ये पोस्ट पिछले कई महीनों से वायरल हो रहा है (फोटो: फेसबुक)
तो क्या ये तस्वीर लड़ाई के मैदान की है? जहां नेहरू लड़ रहे हैं? और जख्मी हो गए हैं? नहीं. ये तस्वीर एक छोटा सा ब्लैक ऐंड वाइट फ्रेम है. जिसमें नेहरू का साइड प्रोफाइल दिख रहा है. मतलब चेहरा साइड से दिख रहा है. पीछे से एक लड़की ने उन्हें पकड़ा हुआ है. उसने अपने हाथ से नेहरू का गाल अपनी ओर मोड़ा हुआ है. लड़की उन्हें किस कर रही है. सामने की तरफ एक आदमी पीठ की ओट किए दिख रहा है. मतलब, जब ये तस्वीर ली गई होगी तब वो आदमी सामने खड़ा नेहरू और उस लड़की को देख रहा होगा. इसके अलावा इससे मिलती-जुलती एक और तस्वीर शेयर की जा रही है. उसमें नेहरू की पीठ दिख रही है. सामने की तरफ एक महिला नजर आ रही हैं. वो नेहरू के गाल पर किस कर रही हैं. तस्वीर ब्लैक ऐंड वाइट है. नेहरू और उस औरत के आस-पास दो लोग दिख रहे हैं. यूनिफॉर्म में. लोग जिस तरह से ये मेसेज लिख और शेयर कर रहे हैं, उससे साफ है. कि वो नेहरू का मजाक उड़ा रहे हैं. आजादी की लड़ाई में नेहरू के योगदान पर सवाल कर रहे हैं. और उन्हें चरित्रहीन साबित कर रहे हैं.
नयनतारा सहगल ने कई किताबें लिखी हैं. रिच लाइक अस. मिस्टेकन आइडेंटिटी. प्रिजन ऐंड चॉकलेट केक. स्ट्रॉम इन चंडीगढ़. द स्टोरी ऑफ इंडियाज फ्रीडम मूवमेंट. उन्होंने नेहरू पर भी कई किताबें लिखी हैं. जैसे- जवाहरलाल नेहरू: सिविलाइजिंग अ सेवेज वर्ल्ड. नेहरूज इंडिया: एसेज़ ऑन द मेकर ऑफ अ नेशन. नेहरूज इंडिया: एस्सेज ऑन द मेकर ऑफ अ नेशन. नयनतारा ने इंदिरा गांधी पर भी किताबें लिखी हैं. जैसे, इंदिरा गांधी: हर रोड टू पावर.
असलियत क्या है? कौन है नेहरू को चूमती वो लड़की? चूमना हमेशा रोमांटिक ही नहीं होता. किस वही नहीं होता, जो प्रेमी-प्रेमिका करते हैं. चूमने का मतलब सेक्स नहीं होता. स्नेह जताने के लिए भी किस किया जा सकता है. लाड दिखाने के लिए भी किस किया जा सकता है. किसी अपने की सलामती की दुआ करते हुए भी उसे चूमा जा सकता है. गाल पर. माथे पर. हाथ पर. आंखों पर. ये भी वैसा ही किस था. पहले करते हैं पहली तस्वीर पर बात. तस्वीर में जो लड़की दिख रही है, वो कोई अंग्रेज नहीं है. न ही वो नेहरू की प्रेमिका है. वो हैं नेहरू की भांजी. नयनतारा सहगल. नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित की बेटी. दूसरी फोटो में नेहरू को जो औरत चूम रही है, वो नयनतारा की मां हैं. जवाहरलाल नेहरू की बहन यानी खुद विजयालक्ष्मी पंडित.
विजयालक्ष्मी बस नेहरू की छोटी बहन नहीं थीं. वो खुद भी स्वतंत्रता सेनानी थीं. वो संविधान सभा की सदस्य थीं. संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली की पहली महिला अध्यक्ष थीं. कई देशों में भारत की राजदूत नियुक्त की गईं. राज्यपाल भी रहीं.
नयनतारा और नेहरू की फोटो कब की है? ये दोनों तस्वीरें अलग-अलग मौकों की हैं. पहले बात पहली तस्वीर की. यानी, नयनतारा वाले फोटो की. आजादी के बाद की बात है. नेहरू प्रधानमंत्री बन गए थे. साल था, 1955. नेहरू विदेशी दौरे पर ब्रिटेन गए थे. उस समय विजयालक्ष्मी पंडित ब्रिटेन में भारत की हाई कमिश्नर थीं. नेहरू जब हीथ्रो एयरपोर्ट पर उतरे, तो विजयालक्ष्मी अपनी बेटी नयनतारा के साथ उन्हें रिसीव करने आईं. रिसीव करते समय प्यार जताने के लिए बहन ने भाई के गाल को चूमा. भांजी भी खुश होकर लाड करने के लिए पीछे से आई. और उसने अपने मामा के गाल पर किस कर लिया.
विजयालक्ष्मी पंडित और नेहरू की फोटो कब की है? दूसरी फोटो 1949 की है. जब विजयालक्ष्मी पंडित अमेरिका में भारत की राजदूत थीं. तब नेहरू वहां गए थे और विजयालक्ष्मी उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंची थीं. रिसीव करते हुए बहन ने बड़े भाई को गले से लगाया और प्यार से गाल पर किस किया. यूट्यूब की खुदाई के दौरान हमें एक विडियो मिला. 1949 का एक विडियो. इस विडियो का लिंक दे रहे हैं हम. यूट्यूब के क्रेडिट से आप ये विडियो देखिए और तस्वीर का मिलान कीजिए. आपको समझ में आएगा कि विजयालक्ष्मी पंडित और नेहरू की जो तस्वीर वायरल हो रही है, वो इसी मौके की है. अगर ये गलत है, तो फिर मां का अपने बच्चे को चूमना भी गलत है. ये पाप है, तो वो भी पाप है. एक बहन अपने भाई को गले लगाए, उसके गाल पर किस करे, तो इसमें क्या गलत है? एक भांजी अपने मामा से लिपटकर उनके गाल पर किस करे, तो इसमें क्या खराबी है? किसी और के रिश्ते भी हम तय करेंगे क्या?
नेहरू और उनकी बहन तो नहीं हैं, मगर नयनतारा हैं अब न तो विजयलक्ष्मी पंडित रहीं. न पंडित नेहरू रहे. नयनतारा सहगल हैं मगर. 91 साल की हो चुकी हैं. लेखिका हैं. अंग्रेजी में लिखती हैं. कई किताबें छप चुकी हैं उनकी. काफी जानी-मानी हैं. नेहरू और विजयालक्ष्मी पंडित की आत्माएं अपने चरित्रहनन की शिकायत करने नहीं आएंगी. मगर नयनतारा को इस घटिया मुहिम में अपनी तस्वीर इस्तेमाल किए जाने पर कैसा महसूस होता होगा?
नेहरू 1964 में गुजरे थे. मगर जाने के बाद भी वो भारत की राजनीति में बने रहे. उन्हें बदनाम करने, उनकी छवि खराब करने की कोशिश उसी समय से जारी है. हाल के दिनों में भी अक्सर उनका जिक्र छेड़ दिया जाता है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तो ट्वीट कर दिया था. ये ही तस्वीरें शेयर करके वो भी नेहरू को अय्याश साबित करने की कोशिश कर रहे थे.
नयनतारा सहगल के पिता को अंग्रेजों ने चार बार जेल भेजा आजादी के बाद विजयालक्ष्मी पंडित को रूस में राजदूत बनाकर भेजा गया. तब नयनतारा नेहरू के ही साथ रहती थीं. उनके पिता रंजीत सीताराम पंडित स्वतंत्रता सेनानी थे. चार बार अंग्रेजों की कैद में रहे थे. चौथी बार जेल से जब बाहर आए, तब उनकी मौत हो गई. नेहरू का घर ही नयनतारा का घर था. पिता के जाने के बाद मामा ही उनके पिता थे. उस समय कोई प्रधानमंत्री आवास जैसी चीज नहीं थी. नेहरू तब 17 यॉर्क रोड में रहते थे. इसी का नाम अब मोतीलाल नेहरू मार्ग है. रोज दोपहर को नयनतारा खाना लेकर नेहरू के दफ्तर जाती थीं. इंदिरा उनकी ममेरी बहन थीं. दोनों एक ही घर में रहते थे. जब गांधी की हत्या हुई, तब भी नयनतारा यहीं थीं. मार्च 1948 तक नयनतारा यहीं रहीं. फिर वो भी अपनी मां के पास मॉस्को चली गईं. नेहरू और विजयालक्ष्मी पंडित की ज्यादा पटती नहीं थी. मगर बच्चों की बात अलग थी. नेहरू की तरफ से भी और नयनतारा की तरफ से भी, दोनों में बहुत प्यार था. इंदिरा के साथ भी उनके अच्छे रिश्ते थे.
इंदिरा गांधी नेहरू की इकलौती औलाद थीं. नयनतारा सहगल उनकी बुआ की बेटी थीं. मगर इमरजेंसी के टाइम पर नयनतारा और उनकी मां विजयालक्ष्मी पंडित, दोनों ने इंदिरा की तानाशाही का विरोध किया था.
नयनतारा की आलोचना से नाराज इंदिरा ने बदला लिया बाद में जब इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई, तब विजयालक्ष्मी पंडित और नयनतारा, दोनों ने उनके खिलाफ झंडा उठा लिया. खूब आलोचना की. निर्मम आलोचना. नयनतारा ने खूब लेख लिखे इंदिरा की तानाशाही के खिलाफ. कहते हैं कि इंदिरा नयनतारा को इटली में भारत का राजदूत बनाकर भेजने वाली थीं. मगर अपनी आलोचना से बौखलाकर इंदिरा ने ये नियुक्ति रद्द कर दी. 2015 में इन्हीं नयनतारा सहगल ने साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस कर दिया था. विरोध में. ये दादरी में मारे गए मुहम्मद अखलाक की हत्या के बाद हुआ था. उनकी शिकायत थी कि मोदी सरकार भारत की सांस्कृतिक एकता को बचाने में नाकाम साबित हो रही है. उस समय कुछ और साहित्यकारों ने अपने पुरस्कार वापस लौटाए थे. उनके साथ-साथ नयनतारा के बारे में लिखा गया. ‘मोदी विरोध में अंधी’ और ‘अवॉर्ड वापसी गैंग’ जैसी बातें कही गईं. लोग भूल गए कि आदर्शों का हवाला देकर उन्होंने अपनी ही ममेरी बहन का विरोध किया था. उनके खिलाफ खूब बोला और लिखा था. जाहिर है, लोग इतिहास भूल गए थे. वो अब भी भूल रहे हैं. तभी चरित्रहनन कर रहे हैं. या फिर ये सब जान-बूझकर किया जा रहा है.
नेहरू को करेक्टरलेस साबित करने की मुहिम बहुत पुरानी है नेहरू को चरित्रहीन साबित करने पर दशकों से ऊर्जा खर्च की जा रही है. क्या छूटा है? यूट्यूब? ट्विटर? फेसबुक? वॉट्सऐप? कुछ नहीं छूटा. दर्जनों विडियो हैं. दर्जनों कहानियां फैलाई जाती हैं. जिनमें नेहरू की छवि खराब करने की कोशिश की जाती है. हमने इसपर कुछ खबरें, कुछ आरोपों की पड़ताल की है. आप चाहें तो आखिर में उन खबरों के लिंक पर क्लिक करके उन्हें पढ़ सकते हैं.
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