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Pratima Chaubey की डायरी

Pratima Chaubey

3 अध्याय
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गुजर रही है जिंदगी ऐसे मुकाम से अपने ही दूर हो जाते हैं जरा जुकाम से तमाम कायनात में एक कातिल बीमारी हवा हो गई वक्त ने कैसा सितम ढाया की दूरियां ही दवा हो गई आज सलामत रहे तो कल शहर देखेंगे आज पहरे में रहे तो कल पहर देखेंगे सांसों को चलने के लिए कदमों का रुकना जरूरी है घरों में बंद रहना दोस्तों हालात की मजबूरी hai तुम कर भी कुछ नहीं सकते सिवाय दूरियों के अगर आज जिंदा रहे तो कल फिर मिलेंगे अगर जिंदा रहना है तो घर में ही रहे हम फिर मिलेंगे गुजरे हुए कल के बाद COVID_19 

pratima chaubey ki dir

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पुस्तक के भाग

1

Fake love (खामोशी मेरे दिल की)

12 फरवरी 2022
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गलतफहमी से बढ़कर कोई दुश्मन नहीं होता , परिंदों को उड़ाना है तो बस पेड़ की शाखें हिला दीजिए... . Fake love p ❣️❣️माना की इतना उम्दा किरदार नहीं मेरा,    की हर किसी कों याद आए हम..... पर इतनी कमजोर पहचा

2

Fake love खामोशी मेरे दिल की

13 फरवरी 2022
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🌀अब क्या ढूंढते हो जले हुए राख पर🌀 🌀वह अफसाना ही जल गया जिस का unwon तुम थे🌀 Fake love p 🌀अगर है गहराई तो चल डूबा दे मुझको🌀 🌀समंदर तो नाकाम रहा अब तेरी आंखों की बारी है🌀 ⭕मुझे मंजूर है ...

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Fake love खामोशी मेरे दिल की

16 फरवरी 2022
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एक दरवेश मेरे जिस्म को छू कर बोला... क्या अजीब लाश है साँस भी लेती है...😊😊 मयखाने  में  गिरता  तो खुद  ही उठ  जाता_साहब  मोहब्बत  में  गिरा  हूँ अब  तो खुदा  ही_उठाएगा...🙏🙏  एक ये दौर है, कि ह

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