Pratima Chaubey
1 किताब ( 1 हिंदी )
3 रचनायें ( 3 हिंदी )
मुझे शायरी और पोटरी लिखना बहुत पसंद है मैं किसी के लिए नहीं खुद के लिए लिखती हूं
Pratima Chaubey की डायरी
गुजर रही है जिंदगी ऐसे मुकाम से अपने ही दूर हो जाते हैं जरा जुकाम से तमाम कायनात में एक कातिल बीमारी हवा हो गई वक्त ने कैसा सितम ढाया की दूरियां ही दवा हो गई आज सलामत रहे तो कल शहर देखेंगे आज पहरे में रहे तो कल पहर देखेंगे सांसों को चलने के लिए कदम
Pratima Chaubey की डायरी
गुजर रही है जिंदगी ऐसे मुकाम से अपने ही दूर हो जाते हैं जरा जुकाम से तमाम कायनात में एक कातिल बीमारी हवा हो गई वक्त ने कैसा सितम ढाया की दूरियां ही दवा हो गई आज सलामत रहे तो कल शहर देखेंगे आज पहरे में रहे तो कल पहर देखेंगे सांसों को चलने के लिए कदम