क्या आप जानते है 1999 के युद्ध में भारत की दो मुस्लिम जूता कंपनियों ने मना कर दिया था सेना को जूते देने से..? फिर क्या हुआ पढ़िए....
सन 1999 में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध के बारे में सभी जानते है, लेकिन वो युद्ध अपने अंदर ही बहुत से गहरे राज छुपाये रखा हुआ है..!! 1999 में अटल वाजपेयी की सरकार ने पाकिस्तान द्वारा धोखा देकर कब्जाए गए कारगिल की चोटियों को वापस प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था, जिसके लिए सैनिको को दुर्गिम पहाडियों में जाकर छुपे हुए पाकिस्तानी सैनिको से लड़ना था, लेकिन उस समय दिक्कत ये थी की भारतीय सेना के पास 7,8,9,10 नंबर के स्पेशल माउंटेन जूते तो थे लेकिन गोरखा सैनिकों के लिए उससे कम साइज के छोटे जूते स्टॉक में नहीं थे..!!
उस समय भारतीय सैनिको के लिए जूते उत्तर प्रदेश के कानपूर में स्थित कंपनिया बनाया करती थी, इसलिए छोटे जूतों की जरुरत पड़ने पर भारतीय सेना ने इनसे मदद मांगी की हमारा आर्डर जल्द से जल्द पूरा कर हमें दिया जाये, लेकिन उस समय ज्यादातर चमड़े उद्योग पर मुस्लिमो का कब्जा था इस वजह से सभी कंपनियों ने भारतीय सेना का आर्डर पूरा करने से मना कर दिया जिसके कारन भारतीय सैनिको को सही जूतों की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी...
1999 में जब भारतीय सेना कारगिल में पाकिस्तान से लड़ रही थी, तब कारगिल की पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए भारतीय सेना ने जूता बनाने वाली 2 कम्पनियों
1. मिर्ज़ा टैनर्स (Brand Name – Red Chef)
2. सुपरहाउस टेनरी (Brand Name – Lee Cooper)
को भारतीय सैनिकों के लिए Special Mountaineering Shoes बनाने का आर्डर दिया, परन्तु मुसलमानों की इन जूता कम्पनियों ने भारतीय सेना को जूते सप्लाई करने से मना कर दिया था, उस समय कानपुर की ही एक कम्पनी MKU INDUSTRIES जिसके डायरेक्टर श्री नीरज गुप्ता जी ने दिन रात काम कर एक महीने से भी कम समय में भारतीय सेना के लिए 10000 जोड़ी SPECIAL MOUNTAINEERING SHOES सप्लाई किये..!! और फिर उन जूतों का उपयोग करके गोरखा सैनिकों ने कारगिल की दुर्गम चोटियों पर वापिस भारत का झंडा फहराने में अपने को सक्षम सिद्ध कर दिया था।
मूल लेख : अमित त्रिपाठी