"हाइकु"कर दो दानहै मकर संक्रांतिमिटती भ्रांति।।-1लो बधाईखिचड़ी खवाईशादी सवाई।।-2तिल पापड़ीगर्म आग तापनीगुड़ के लड्डू।।-3मधुर ख्वाबबसंत की सुमारीफूलों से यारी।।-4हिन्दू त्यौहारसु स्नेह की बौछारश्रद्धा अपार।।-5महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी
हाइकु 1)रोको न पग बढ़ो देश खातिर करो विकास !2)वाद विवाद हो जाता है अनर्थना करो व्यर्थ !3)माँ का दुलार प्रभु का वरदान है अनमोल !4)मैं तो पेड़ हूँ,मौन खड़ा सदैव ,मानव तुमबस काटते रहे !डॉ. उषा श्रीवास्तव
"हाइकु"घूर का दीयाक्यों री शराब पीयाभाग दरिद्र।।रीति प्रदीपयम का यह दीपआधी रात में।।गोधन पूजाभाई दूज पाकीजाशुभ आशीष।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
हाइकु """""""" 1)माँ तू ही तो है-भू को ढ़के अम्बर सबसे न्यारी।2)तेरे उर में-मिलता है पूर्ण हीजन्नत मुझे । 3) सपनों की है-दुनिया यह सारीखुले आकाश ।4)खगों की गूँज-नहीं है अब बातकैसी बैचैनी ।5) कलयुग का-आतंक चौतरफामन व्याकुल ।6)अश्रु भरे हैं, घटा फटने वालीव्याकुल आँखें ।7) ज़ि
ललही छठ की हार्दिक बधाई "हाइकु"ललही छठलालन को आशीषमाँ को नमन।।जै छठ मैयामंगल दायिनी माँपग वंदन।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"हाइकु" ठंड सीलनऋतु की सिहरनठिठुरे हाथ।।-1सूरज छुपानैन होठ कंपनआँख मिचौली।।-2जमता पानीबर्फ जैसी चादरपग कंपन।।-3महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"हाइकु" ठंडी की ऋतुघर घर अलावबुझती आग।।-1गैस का चूल्हान आग न अलावठिठुरे हाथ।।-2नया जमानासुलगता हीटर धुआँ अलाव।।-3नोटा का कोटाअसर दिखलायामुरझा फूल।।-4खिला गुलाबउलझा हुआ काँटामूर्छित मन।।-5महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"हाइकु"माता ममताप्रतिपल सुभदाजय माँ अंबे।।-1माता महिमानवरात्रि गरबाकदम ताल।।-2माँ शैलपुत्रीप्रथम नवरात्रिजय सावित्री।।-3पावन पर्वमंगलम सर्वत्रश्रद्धा पवित्र।।-4जग जननीअतिशय पावनीरूप अनूपा।।-5महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
बसन्त ऋतु (Basant Rtu)हिन्दी हाइकुलेखिका : डॉ. कंचन पुरी हाइकु 5-7-5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्पूर्णता सहित अभिव्यक्त किया जाता है। इस वीडियो में बसन्त ऋतु पर हाइकु दे रहे हैं। Video को LIKE और हमारे CHANNEL को SUBSCRIBE करना ना भूले!
हाइकु 5-7-5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्पूर्णता सहित अभिव्यक्त किया जाता है। इस वीडियो में बुढ़ापा के विषय में कुछ हिन्दी हाइकु दे रहे हैं। विश्वास हैं अवश्य पसन्द आएंगे। पसन्द आने पर लाईक, कमन्ट, शेयर व सब्सक्राईब करें। धन्यवाद ! बुढ़ापा (Senility) BuDhaapaa
हाइकु 5.7.5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्पूर्णता सहित अभिव्यक्त किया जाता है। इस वीडियो में बेटियों के विषय में कुछ हिन्दी हाइकु दे रहे हैं। विश्वास हैं अवश्य पसन्द आएंगे। पसन्द आने पर लाईकए कमन्टए शेयर व सब्सक्राईब करें। धन्यवाद ! ब
हाइकु 5-7-5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्पूर्णता सहित अभिव्यक्त किया जाता है। इस वीडियो में माता के विषय में कुछ हिन्दी हाइकु दे रहे हैं। विश्वास हैं अवश्य पसन्द आएंगे। पसन्द आने पर लाईक, कमन्ट, शेयर व सब्सक्राईब करें। धन्यवाद ! Maat
आज जबगुलजार साहब 82 वर्ष के हो चुकेहैं तोभी उनकी गजलें पुरजवां यानि 28 वर्ष की ही हैं । उन्होंने हिंदी कविता में में एक नई विधा "त्रिवेणी" जोड़ी है जिसके विकास में भी उन्हें 28 वर्ष का समय लगा। त्रिवेणी एक तीन पंक्तियों वाली कविता है, यह माना जाता है कि इस विधा को गुलज़ार
अक्षत रोलीलगाकर भाई को बाँधी है राखी !... पवित्र रिश्ता विश्वास का बँधन कायम रखे ! ... रेशम डोर कलाई से बँधे तो दुआ बनती ! ... माथे तिलक कलाई राखी सजे खुश हो भाई ! ... दुआ की डोर बाँधे पावन रिश्ता सदा के लिए !