कविता में जनतंत्र
डॉ ० वेद प्रकाश अमिताभ
हिंदी विभाग , अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय
समकालीनता की प्रमुखता उसमें निहित व्यवस्था -विरोध की हिम्मत है । अनेक रचनाओं के शीर्षक गवाह हैं कि समकालीन सर्जक मौजूदा जनतांत्रिक व्यवस्था में जनाकांक्षाओं के हनन को लेकर चिंतित रहे हैं। ठिठुरता हुआ गणतंत्र (हरिशंकर परसाई ), ' डेमोक्रेसी के भगवान '(यज्ञ शर्मा ),'मन चलता है लोकतंत्र में '(गोपाल बाबू शर्मा ),' गणतंत्र सिसक रहा है '(सुधीर ओखदे ) आदि की ही श्रृंख़ला में ही अनिल कुमार शर्मा का कविता -संग्रह- ' कंगाल होता जनतंत्र ' भी उल् लेख नीय है । इस संग्रह में श्री शर्मा एक समय-सजग कवि के रूप में प्रभावित करते है । जनता के द्वारा जनता के लिए निर्मित हर तंत्र में सामान्यजन की दुर्गति सर्वाधिक द्रष्ट्रव्य है । कवि ने मजदूरों -किसानों , वंचितों ,उत्पीड़ितों के दुःख -दर्द पर बराबर दृष्टि केंद्रित रखी है । 'मजदूर किसान बेहद लाचार है ', जी तोड़ मेहनत के बाद भी जिनके पेट रह जाते है खाली ', पेट के सवाल पर क़र्ज़ ब्याज में डूबे हो ' आदि से कवि की यथार्थ चेतना और पक्षधरता स्पष्ट है । कोढ़ में खाज़ यह है कि नई उदार नीति और भूमंडलीकरण से उपजे बाज़ारवाद ने भी श्रमजीवियों को ही छला है । इसलिए संग्रह की शीर्षक कविता में जिस निष्कर्ष पर कवि पहुँचता है , वह यथार्थ से पुष्ट है - 'विदेशी पूंजी से छलकते हुए समृद्धि की हवाओं से कंगाल होता जनतंत्र हूँ '। 'जिसने लोकतंत्र कमा लिया ' कविता में मूल्यहीन अर्थव्यवस्था से पोषित लोकतंत्र की विडम्बना इन शब्दों में उजागर हुई है - ' यह लोकतंत्र एक खिलौने की दुकान है / जहाँ जगह की सहूलियत के लिए बाघ की पीठ पर बकरी रख दी जाती है /'। कवि को प्रतिवाद और प्रातिरोध के स्वर भी सुनाई देते है , लेकिन वे सबल और कारगर नहीं हैं ।
अपनी जनधर्मी और समाजबोधी अंर्तवस्तु को संप्रेषणीय बनाने के लिए शर्मा ने जो भाषा चुनी और बुनी है , वह यथार्थपरक और प्रभावोत्पादक है , उनके काव्य -बिम्ब ,संवेदना और विचार को उभारने में सर्वथा सक्षम हैं । 'भिखमंगे के कटोरे ','आशा की खूँटी ', 'आस्था की सफेदी ','ग्लोबलिज़शन की थाली ', ' तेजाब का काजल ', 'आधुनिकता की पटरी ' आदि विडम्बनाओं - कुरूपताओं की तीक्ष्ण अभिव्यक्ति में सफल है । यथार्थ में गहरे धँसी और छटपटाती इन कविताओ से गुजरना विचारोत्तेजक अनुभव है । ( गाज़ीपुर समाचार :१६ नवम्बर २०१५ से २२ नवम्बर से साभार )