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मानवता?

31 जुलाई 2019

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अभी कल की ही बात है, मैं गाड़ी पार्क करके निकला ही था बाहर कि एक महिला तुरंत मेरे पास आयी और अंग्रेजी में कुछ फुसफुसाई। मैं सकपका गया, शुरू के 5 -7 क्षण तो मैं समझ ही नहीं पाया कि इन्हे समस्या क्या है। फिर पता चला कि वो यहाँ मुझसे पहले गाड़ी खड़ी करने वाली थी और मैंने उसकी जगह अपनी गाड़ी लगा दी। अंग्रेजी में उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बहुत बुरा हूँ, मैंने गलत किया।


सच बताऊँ तो मैं अनभिज्ञ था कि कोई यहाँ गाड़ी पार्क भी करने वाला है। मैंने खाली जगह देखी और गाड़ी लगा दी। और यही बात मैंने उन महिला से भी कही। मैंने उन्हें विनम्रता पूर्वक ये भी कहा कि "मैं हटा देता हूँ यहाँ से अपनी गाड़ी, आप लगा लीजिये।" किन्तु वो कुछ फुसफुसाते हुए या यूँ कहूं कि मुझे कोसते हुए अपनी गाड़ी आगे ले गयी। उन्हें तो इस बात का गुस्सा ज्यादा था कि आखिर उनकी जगह किसी और ने गाडी लगा कैसे दी। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी सी बात पर वो अपने अहम् को बीच में ले आयी। वहाँ तो बहुत खाली जगह थी गाड़ी पार्क करने की, मैं तो कहीं भी अपनी गाड़ी पार्क कर देता। इस छोटी सी घटना के कारण मेरे कुछ शब्द इस लेख द्वारा बाहर आये जिनकी मैं काफी समय से समीक्षा कर रहा था।


धैर्य, शिष्टाचार, मानवता इत्यादि समानार्थक शब्द अब कही देखने को ही नहीं मिलते। सड़क पर हर अगर आप किसी वाहन में हो तो दूसरे कई वाहन आपसे आगे निकलना चाहते है। आपको किसी गली में मुड़ना हो और सामने से कोई दूसरा वाहन आ रहा हो तो वो और भी तेजी से आकर उस गली में मुड़ जाता है। उसका उद्देश्य ही आपको पीछा छोड़ना है।

कभी लाल बत्ती पर अपना वाहन रोक कर खड़े होते है तो भी अगला वाहन उस से आगे आकर ही रुकता है। चाहे एक सूत ही आगे हो किन्तु आगे जाकर ही खड़ा होता है। उस से अगला आने वाला वाहन उस से भी एक कदम आगे। और दृश्य तो पीली बत्ती पर देखिये। एक दूसरे से आगे निकलने के लिए स्टॉप लाइन से भी कही आगे निकल जाते है। एक प्रतिस्पर्धा सी लगी हुई है। जिसकी जानकारी किसी को भी नहीं है, बस एक दूसरे से होड़ किये जा रहे है।

यदि आपने किसी वाहन को अनजाने में ही सही, पीछे छोड़ दिया वो भी उसके आगे से कट मार के। तो वो अपनी गाड़ी इतनी तेजी से भगा कर लाता है और आपको घूरता हुआ ऐसे निकलता है जैसे कि आप कोई अपराधी हो और आपको उस गंभीर अपराध के लिए किसी कारागार ले जाया जा रहा हो। और गलती से आपकी गाड़ी, आगे किसी गाड़ी से टकरा गयी तब आप तमाशा देखिये। बीच सड़क पर गाड़ी रोक कर वो व्यक्ति पहले तो अपने गाड़ी के पिछवाड़े का निरीक्षण करता है। फिर आपके पास बड़े तैश से आता है, गाली गलोच करता है या पैसे मांगता है। मानवता के धर्म के नाते वो ये भी नहीं पूछता कि "भाई, ठीक तो हो, कहीं लगी तो नहीं।"
इस होड़ की दौड़ में मानवता तो कहीं पीछे रह गयी। धैर्य तो साहब बचा ही नहीं किसी में। ऐसे लगता है मानो सब पहलवान बन गए है। बस लड़ना ही मानवता है उनके लिए।

मैं आपसे ये सब इसलिए साझा कर रहा हूँ की ये दृश्य अब बहुत सामान्य हो गए है। और लुप्त हो गए हमारे संस्कार, शिष्टाचार, धैर्य, मानवता, ये शब्द या तो किसी पुस्तक में मिलते है या इस अभी लेख में मिल रहे है।
आज किसी की सहायता के लिए हाथ उठना बंद हो गए है किन्तु वीडियो बनाने के लिए ये हाथ बहुत जल्दी उठते है। कभी कोई दुर्घटना घट जाती है तो ये ऐसे ही कुछ लोग वीडियो बनाते हुऐ दिख जाते है, जो अपने वीडियो से बताना तो चाहते है सबको कि ऐसी दुर्घटना घटी है, किन्तु बचाना नहीं चाहते इस दुर्घटना से हताहत लोगो को।

ये तो भला हो कि चंद लोग ऐसे भी बचे है इस संसार में जिन्होंने हाल ही जे.एल.एन चौराहे (जयपुर) पर हुई दुर्घटना में हताहत व्यक्ति को अपनी समझ से तुरंत सी.पी.आर दिया और अस्पताल तक ले गए। उन देवतुल्य व्यक्तियों को नमन। और विनती है उन लोगो से जो छोटी छोटी बातो पर अपना धैर्य खो देते है, अपने ईगो को प्रेस्टीज पॉइंट बना लेते है, ये सब भुला कर लोगो की सहायता करे और अपने अंदर मानवता को पुनः विकसित करे। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि आपके डी.एन.ए में ये अवश्य उपस्थित है।


धन्यवाद

kiran singh

kiran singh

मानवता अब तो य सोच से ही परे हो गयीजिंदगी इतनी फास्ट भाग रही है सभी कोई आगे निकलना चाहता है धैर्य खत्म हो चुका है किसी को किसी की परवाह नहीं सबका केंद्र बिन्दू मंजिल तक पहुँचना है सबको इतनी जल्दवजी र ती है बगल से हमारा कोई अपना भी निकल जाये पता ही नहीं पड़तासबको अपनी ही पड़ी है ऐसी परिस्थितियों में मानवता के बारे किसको पड़ी

2 अगस्त 2019

रेणु

रेणु

प्रिय कपिल जी , संभवतः बढ़ते भौतिकवाद और तकनीकी प्रगति ने घटते नव को अत्यंत आत्मकेंद्रित बना दिया है | घटती सहनशक्ति और अहम् की प्रबलता शायद इस तरह की घटनाओं को जन्म देती है जिसका आपने जिक्र किया है | पर हमें याद रखना होगा , इस तरह का आचरण हम कलम के सिपाहियों के लिए नहीं है , इस प्रकरण में आपका उदार व्यवहार यही दिखाता है | एक अत्यंत संवेदनशील विषयपर आपके विचारों से सहमत हूँ | कोई तो रहे इस संसार में जिसके दम पर मानवता ज़िंदा रहे | सस्नेह --

1 अगस्त 2019

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दुःख से साक्षात्कार

22 जून 2019
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बहुत दिन हो गए दुःख को यहाँ आये,जमाना बीत गया यहाँ पैर फैलाये,सोचा आज कर ही लेते है दुःख से साक्षात्कार,पूछ लेते है क्या है इसके आगे के विचार,हमने पूछा दुःख से थोडा घबरा कर,वो भी सहम गया हमे अपने पास पाकर,आजकल काफी पहचाने जा रहे हो,महंगाई ,गरीबी, गैंगरेप आदि विषयो से चर्चा में आ रहे हो...दुःख चोंका,

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वृद्धों की समस्या का तुलनात्मक पहलु अवश्य पढ़ें ...

27 जून 2019
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एक दिन मैं अपनी दादी को उनकी बहिन से मिलाने लेकर गया, साथ में दादाजी भी चल दिए! हम तीनो उनके घर उनसे मिलने गए क्यूंकि वो बाथरूम से फिसल कर गिर गयी थी | वहा ये चारो बुजुर्ग मिले और आपस में मिल कर काफी खुश दिखाई दिए!एक बार को मेरी दादी की बहिन अपना दर्द भूल गयी थी शायद।

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पूरक एक दूसरे के

28 जून 2019
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मूक बधिर सत्य, स्थिर खड़ा एक कोने में, बड़े ध्यान से देख रहा है, सामने चल रही सभा को, झूठ, अपराध, भ्रष्टाचार इत्यादि, व्यस्त है अपने कर्मो के बखानो में, सब एक से बढ़ कर एक, आंकड़े दर्शा रहे है, सहसा दृष्टि गयी सामने सत्य की, सिर झुकाये सोफे पर बैठा, आत्मसम्मान, सब कुछ देख

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हिंदी भाषा

4 जुलाई 2019
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कई दशको पहले, यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता,जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता, चहुँमुखी विकास के साथ साथ,अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता, और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा, भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती ही ,और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता,लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता,तो म

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बातचीत की खिड़की

7 जुलाई 2019
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एक दिन जी मेल पर…अवसर मिला लॉग इन करने का.…सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…जान लूँगा हाल उनके …और बता दूंगा अपने भी.…एक दोस्त को क्लिक किया …. चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…चेट विंडो में उसकी … लाल बत्ती जल रही थी.…जो एक चेतावनी दे रही थी.…दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…हमे आया गुस्सा … बोले चे

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भगवान के साथ संवाद - वाद विवाद

9 जुलाई 2019
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भगवान के साथ संवाद एक दिन रास्ते में मुझे एक वृद्ध महिला ने सहायता के लिए पुकारा। मैंने उनकी सड़क पार करने में सहायता की और साथ ही उन्हें खाने के लिए कुछ पैसे दिए। उन वृद्ध महिला के ढेरो आशीर्वाद लेकर मैं मुड़ा ही था कि मेरे इष्टदेव मेर

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स्वास्थय

18 जुलाई 2019
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ना मीठा खाने के पहले सोचा करते थेना मीठा खाने के बाद....वो बचपन भी क्या बचपन थाना डायबिटिक की चिंता ना कॉलेस्ट्रॉल था...दो समोसे के बाद भीएक प्याज़ की कचोरी खा लेते थे..अब आधे समोसे में भी तेल ज्यादा लगता है...मिठाई भी ऐसी लेते है जिसमे मीठा कम होऔर कम नमक वाली नमकीन ढूंढते रहते है...खूब दौड़ते भागते

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मसाले का डब्बा

19 जुलाई 2019
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आज अनायस ही रसोईघर में रखे मसाले के डब्बे पर दृष्टी चली गयीजिसे देख मन में जीवन और मसालों के बीच तुलनात्मक विवेचना स्वतः ही आरम्भ हो गयी.... सर्वप्रथम हल्दी के पीत वर्ण रंग देख मन प्रफुल्लित हुआ जिस तरह एक चुटकी भर हल्दी अपने रंग में रंग देती है उसी समान अपने प्यार और सोहार्द्य से दुसरो को अपने रंग

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मैं भी छूना चाहता हूँ उस नीले आकाश को.… जो मुझे ऊपर से देख रहा है, अपनी और आकर्षित कर रहा है, मानों मुझे चिढ़ा रहा हो, और मैं यहाँ खड़ा होकर… उसके हर रंग निहार रहा हूँ, ईर्ष्या भाव से नज़रें टिका कर, उसके सारे रंग देख रहा हूँ, अनेक द्वंद मेरे मन में..... कैसे पहुँचु मैं उसके पास एक बार, वो भी इठला कर,

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फिर भी आश्वस्त था

22 जुलाई 2019
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मैं अतिउत्साहित गंतव्य से कुछ ही दूर था, वहां पहुचने की ख़ुशी और जीत की कल्पना में मग्न था, सहस्त्र योजनाए और अनगिनत इच्छाओ की एक लम्बी सूची का निर्माण कर चुका था, सीमित गति और असीमित आकांक्षाओं के साथ निरंतर चल रहा था, इतने में समय आया किन्तु उसने गलत समय बताया, बंद हो गया अचानक सब कुछ जो कुछ समय पह

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24 जुलाई 2019
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मेरे प्यारे दोस्तों, या यूँ कहूं कि मेरे दसवीं , बारहवीं और प्रतियोगी परीक्षा के अचयनित दोस्तों। ये लेख विर्निदिष्टतः आपके सब के लिए ही लिख रहा हूँ जो किसी परीक्षा में विफल हो जाने पर आत्महत्या जैसे बेतुके विचारो को अपने मष्तिष्क द्वारा आमंत्रित करते है। और क

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मेघा

26 जुलाई 2019
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रात के बाद फिर रात हुई... ना बादल गरजे न बरसात हुई.. बंजर भूमि फिर हताश हुई.. शिकायत करती हुई आसमान को.. संवेग के साथ फिर निराश हुई.. कितनी रात बीत गयी.. पर सुबह ना हुई.. कितनी आस टूट गयी.. पर सुबह ना हुई.. ना जला चूल्हा, ना रोटी बनी.. प्यास भी थक कर चुपचाप हुई.. निराशा के धरातल पर ही थी आशा.. की एक

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सीढियों पर किस्मत बैठी थी

28 जुलाई 2019
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सीढियों पर किस्मत बैठी थी...ना जाने किसकी प्रतीक्षा कर रहा थी...उससे देख एक पल मैं खुश हुआ..और पास जाकर पूछा..क्या मेरी प्रतीक्षा कर रही हो...उसने बिना कुछ बोले मुहँ फेर लिया..दो तीन बार मैंने और प्रयास किया..पर वो मुझसे कुछ ना बोली...मैं समझ गया ये किसी और के लिए यहाँ बैठी है..इस बार मैंने कोशिश क

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मानवता?

31 जुलाई 2019
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अभी कल की ही बात है, मैं गाड़ी पार्क करके निकला ही था बाहर कि एक महिला तुरंत मेरे पास आयी और अंग्रेजी में कुछ फुसफुसाई। मैं सकपका गया, शुरू के 5 -7 क्षण तो मैं समझ ही नहीं पाया कि इन्हे समस्या क्या है। फिर पता चला कि वो यहाँ मुझसे पहले गाड़ी खड़ी करने वाली थी और मैंने उसकी जगह अपनी गाड़ी लगा दी। अंग्रेज

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टाइम क्या हुआ है भाई

1 अगस्त 2019
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समय के प्याले में,जीवन परोसा जा रहा है,अतिथियों का जमघट लगा है,रौशनी झिलमिला रही है,अरे, बुरी किस्मत जी भी आयी है,लगता है, कुछ बिन बुलाये,अतिथि भी आये है,आये नहीं, जिनकी प्रतीक्षा है,स्वयं प्यालो को,विशेष अतिथि के रूप में,कई लोगो का निमंत्रण था,रात के दस बज चुके है,आया नहीं अभी कोई उनमे से,बाकि अतिथ

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मेरा दोस्त

4 अगस्त 2019
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जीवन के बाइस वर्षो तक मुझे खास दोस्त और दोस्ती का अर्थ भी नहीं पता था या फिर ऐसे कहूँ कि मुझे इनकी सिर्फ कागज़ी जानकारी थी और अपने आस पास घट रहे दोस्ती के उदाहरण देख लिया करता था। इतने वर्षो के बाद मेरा मिलान एक बेहद साधारण व्यक्तित्व के इंसान से तब हुआ जब मैं बहुत घबराया हुआ था। मेरे चाचाजी अस्पताल

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अत्यंत दुर्बल परिस्तिथि में..एक साहसीय भीषण गर्जना,चारो ओर सन्नाटा..आपस में तांकते महा विभोर, दुःख.. कठिनाई.. तनाव.. समस्या..सब खड़े मौन,विस्मित मन से सोच रहे,अब हो गया इनका विरोध,कैसे करेंगे परेशान अब,सुन कर उसकी गर्जना,पीछे खड़ा.. सहमा हुआ डर..डर रहा था आगे आने को,सोच

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सफलता

6 अगस्त 2019
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बस कुछ ही दूर थी सफलता, दिखाई दे रही थी स्पष्ट, मेरा प्रिय मित्र मन, प्रफुल्लित था, तेज़ प्रकाश में, दृश्य मनोरम था, श्वास अपनी गति से चल रहा था, क्षणिक कुछ हलचल हुई, पैर डगमगाया, सामने अँधेरा छा गया, सँभलने की कोशिश की, किन्तु गिरने से ना रोक पाया अपने आप को, ना जाने कौन था, जो धकेल कर आगे चला गया,

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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये !!

14 अगस्त 2019
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एक वर्ष और स्वतंत्रता का.. आकर चला गया.. महँगाई..भ्रष्टाचार और अनगिनत रेप के बीच, इस स्वतंत्र धरती के.. खुले आकाश में.. दम घुँट रहा है.. बस शरीर जीवित है, कोई सरकार पर आरोप लगा रहा है.. सरकार विपक्ष पर.. विपक्ष सरकार की टांग खींच रहा है.. और जनता भूखी मर रही है, जिन वस्तुओं की जरुरत नहीं है.. वो सस्

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क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ

25 दिसम्बर 2019
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फुटपाथ पर बैठा दस वर्ष का बच्चा, बड़े कौतुहल से किसी की प्रतीक्षा कर रहा है घडी नहीं है उसके पास, फिर भी एक एक क्षण गिण रहा है आशा भरे नयनो से, चारो और देख रहा है अपना मन पसंद उपहार मिलने की उम्मीद में, दिन भर से यही संता की बाट जो रहा है किसी ने बताया उसको, की आज संता सबको मन पसंद उपहार दे रहा ह

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कोविड - 19

4 मई 2021
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चारों ओर से आती हुई एम्बुलेंस की धुँधली आवाज़ें भी,हर बार कुछ क्षण के लिए ह्रदय की धड़कने बढ़ा जाती है,मष्तिष्क किसी तरह ह्रदय को संभालता है,और ह्रदय फिर फेफड़ो की चिंता में डगमगाता है,ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन स्तर जांचने के बाद ही,सुकून की सा

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कोरोना

5 मई 2021
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कोरोना वहां इठला कर खड़ा है,और यहाँ धैर्य, साहस और विश्वास की मंत्रणा चल रही है। धैर्य बोला, थक गया मैं इस से लड़ लड़ के,वापस आ जाता है, ये दुगुनी शक्ति से। धैर्य की बात सुनकर, साहस भी धीमे स्वर से बोला,दुर्बल हो गया हूँ मैं भी, इसकी विविध शक्तियाँ देख कर,इतना धैर्य रख र

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ओह दिवाली!

26 अक्टूबर 2021
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<p>आज अवसर मिलते ही अपना स्कूटर उठाया </p> <p>और बाहर को निकला</p> <p>सोचा दिवाली पर कुछ ले आऊं

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हिंदी भाषा

14 सितम्बर 2022
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कई दशको पहले यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता  चहुँमुखी विकास के साथ साथ अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा भारत में तो चारो

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वो अस्सी-नब्बे की बातें

23 नवम्बर 2023
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वो अस्सी-नब्बे की बातें, कभी कभार याद आ जाती है और याद आते ही अपने अंदर समां लेती है गर्मियों की छुट्टियो में छत पर कतार से सोना सोने से पहले बड़ो का बाल्टी-मग से छत पर छिड़काव करना बीच बीच

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विश्व हिंदी दिवस

6 जनवरी 2024
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'विश्व हिंदी दिवस', किस दिन आता है? इसका पता लगते से ही मन में स्वतः ही राष्ट्रभक्ति जाग उठती है।  'इंडिया' को 'भारत' बोलने का मन करता है और तो और २ से ५ मिनट के लिए अनायास ही सीना गर्व से चौड़ा हो जात

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