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कृषि

hindi articles, stories and books related to Krishi


*ईश्वर कृपा क्या है?*पैसा, आलीशान घर, महंगी गाड़ियां और धन-दौलत ईश्वर_कृपा नहीं है।इस जीवन में अनेक संकट और विपदाएं जो हमारी जानकारी के बिना ही गायब हो जाती हैं, *वह ईश्वर कृपा है।*कभी-कभी सफ़र के दौर

"ये हरियाली" बड़े प्यार से अंकुरित होकर धरती मां का सिंगार बन जाते हैं ये हरियाली। हवा में फैले जहर को खुद में समेट कर। ऑक्सीजन रूपी अमृत की वर्षा करते हैं ये हरियाली।वातावरण को हरा-भरा

भीखू और चोखू ( दो बैलों की कहानी - अंतिम क़िश्त)( अब तक -- भीखू  और चोखू मालिक के द्वारा किसानी के लिये ट्रेक्टर खरीद लाने के कारण अपनी महत्ता कं होते देख आत्महत्या का मं बनाकर नदी की ओर चल पड़ते ह

( भीखू और चोखू )  दो बैल की कहानी  प्रथम क़िश्त भीखू और चोखू आज बहुत चिन्तित और उदास हैं । अंदर से दोनों परेशान हैं पर एक दूजे को दिलासा दे रहे हैं कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा । उ

कलुषित विचारों से कोसों दूर,सुख सुविधाओं से भी सदा रहा वंचित।हर एक किसी का पेट भरने वाला,क्या कभी किसी ने भी, देखा उसका भी निवाला।स्वयंसिद्धा है वह, वह नहीं किसी पर भी बोझ। उसके भोलेपन का फायदा,स

हैं। बेकार की चीज तेरा जैसा पप्पू ही ला सकता है।” रिपुदमन ने चिढ़ते हुए कहा। “अरे रुको, रुको। इन पन्नों को फाड़ो मत। हमें इनकी जाँच करनी चाहिए। शायद कुछ हासिल हो जाए। ये देखो, ध्यान से देखो इन पर

है।”“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। पर तुम किसी से कहना मत। तुम्हें भी मजे करवाने ले चलूँगा।”“सच, मुझे ले चलोगे।”“और नहीं तो क्या। तू भी क्या याद करेगा कि किसी दिलदार दोस्त से पाला पड़ा है।” कहते ही शिवशंकर ल

अपने अनुभव से बताया। 94“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिं

पहले खेत की मिट्टी को, जोत कर नरम है बनाता। फिर उसमें बीज बोकर, उचित समय पर पानी लगाता। एक-एक पल अंकुर फूटने का, बेसब्री से इंतजार करता। फिर नन्हें-नन्हें कोपल को, घंटों वो निहारता रहता। धीरे धीरे बढ

ईश्वर ने कहा हे मनुष्य सभी प्राणियों में तू सर्वश्रेष्ठ है, अतः तुम्हारे आहार का आधार केवल और केवल सर्वोत्कृष्टऔर आरोग्यकारक अर्थात् सभी प्रकार के फल, ताज़ी सब्जियाँ एवँ मोटा अनाज ही होने चाहिए अन्य

◆【समर्पण】◆ प्रकृति का वह शक्तिशाली अस्तित्व जो दूसरे जीव मात्र को अस्तित्व प्रदान कर साकार रूप देता है और न केवल साकार रूप प्रदान करता है बल्कि अविकसित कली को विकसित कर उसमें सुगन्ध भरने व वातावरण को

किसान का जीवन कितना साधामेहनत में निकलता है दिन आधामिलती नही इन्हें श्रमिक कि मजदूरीकितनी बेबस है इनकी मजबूरीअपना हक पाने को करते है यह आंदोलनइन पर अत्याचार करते है कानूनराजनीती में इनका कोई बोलबाला न

थिस इस माय फर्स्ट आर्टिकल     

मावड़िया धिरानिया की छत्र छाया में पल कर बडा हो रहा *बिंझबायला* अब दिनोंदिन तरक्की के नए नए आयाम को छू रहा है| यहां का बाजार जिस तरह से  सुदृढ़ हो रहा है उसके मुख्य दो ही कारण है पहला बाया जी मेला दूसरा

जिला बनारस में बीरा नाम का एक गाँव है। वहाँ एक विधवा वृद्धा, संतानहीन, गोंड़िन रहती थी, जिसका भुनगी नाम था। उसके पास एक धुर भी जमीन न थी और न रहने का घर ही था। उसके जीवन का सहारा केवल एक भाड़ था। गाँव क

महगाई करके खुद कंचन चर रहे,
अपने देश विदेश में मंचन कर रहे।

त्वरित अगुआई हो शिक्षा बढाने को,
यूनिविर्सिटी बन्द करके दन्त मंजन कर रहे।

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बंजारे (बन+जा+रे)

न धन चाहिए न दौलत बस, अपना हक चहिए।

हक मांगने आए थे, हक मिला


जी हाँ मैं हूँ, किसान
आपका अन्नदाता I


जो खुद के बीबी बच्चों के लिए

👩‍🦰स्वाभिमान और अभिमान को, दासता की जंजीरें तोड़ने के लिए और हमें दिया प्रज्ञा का शस्त्र।*


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